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सिवजी के भगती के महीना सावन

locationरायपुरPublished: Jul 26, 2021 03:48:57 pm

Submitted by:

Gulal Verma

संस्करीति

सिवजी के भगती के महीना सावन

सिवजी के भगती के महीना सावन

बारह महीना म सावन महीना के महत्व अलग हावय। काबर कि ये महीना ह भगवान भोलेनाथ बाबा के नाम ले जाने जाथे। संकरजी ह एकठन बस अइसे देवता हे जेकर पूजा दानव, मानव अउ देवता सबोझन करथें। जउन ह एकठन फूल, नरियर म तको खुस हो जाथे। संकरजी ह हिमालय परबत के कैलास म रहिथे।
हमर पोथी पुरान के मुताबिक बारह ज्योर्तिलिंग हावय जेकर कथा अलग-अलग हावय। सावन महह्म्ना म सोमवार के उपवास रहे ले सिवजी अति मग्न होथे अउ भगत के मनोकामना ल पूरा करथे। सिवजी म पंचामरित, नरियर, भांग, धतुरा, कनेर फर, बेलपान, बेलफल, गांजा, दूध, दही, घी, गंगाजल, मदरस तुलसी के दल ह चघथे। बिहनिया ले कांवरियांमन सुग्घर पबरित नदिया, तरिया पोखर से ेजल भर के रेंगत बोलबम के नारा लगावत सिववालय म जाथे। जल चघाथे।
सिवजी के आराध्य देव रामजी हावय। जेकर नामदिनकर, संंकरजी ह बघवा के खाल म पालथी मारके बइठे रहिथे। धरती म भागीरथी ह गंगाजी ल लाथे, त वोकर तेज धार म धरती ह बह जातिस त संकरजी ह अपन जटा ल खोलके बोहात गंगाजी ल बांध के अउ एकठन छुटकन धार के रूप म वोला छोड़थे। तेकर नाम लेके हर-हर गंगे कहिथें। संकरजी हर परसुराम ल पिनाक धनुस दय रहिथे, जेला राजा जनक ल परसुराम दे देय रहिथे। बिसनुजी ल सुदरसन चक्र सिवजीजी ह देय हावय। हमर देस म तीज-तिहार के दिन उपास रहिथें।जेमा सिव-पारबती के आसीरवाद अउ फल ल पाथे। बिरंदा के पति जलंधर के वध तको सिवजी ह करथे, जेमा सती के सक्ति के सेती कोनो नइ मरत रहिस। सिवजी के महामृत्युंज जय मंत्र ले मनखे अकाल मउत ले बचथे। रूद्राक्छ म साक्छात सिवजी के वास रहिथे। संकरजी ह संसार ल तांडव करके परलय मचा के डुबो देथे अउ बाद नवा जुग के सुरू होथे।
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