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धोखा

locationरायपुरPublished: Aug 02, 2021 03:35:55 pm

Submitted by:

Gulal Verma

नानकीन किस्सा

धोखा

धोखा

हमर परोसी ह एक दिन उदुप ले मर गे । वोकर घर म रोवाराही मात गे। गांव भर म हल्ला होगे के कोरोना के सेती मर गे। वो कर घर म कोनो लास उठइया नइ रहय। गांव के दू-चार झिन जवनहामन लटपट मंद मउहा पी पुवा के वोकर आखिरी बिदागरी ल करिंन।
एक दिन मोर घर म अस्पताल ले नर्स बहिनजी अइस अउ पूछिस के कोरोना के वैक्सीन लगे के पाछू कइसे महसूस करत हस कका। कहीं लागत लुगात तो नइये। मेहा कहेंव- मोला तो काहिंच नइ लागत हे नोनी। फेर मोरो कस मोर परोसी ला घला कोरोना ले बचाव के वेक्सीन लगा दे रहितेस त वहू बपरा बांच जतिस। नर्स बहिनजी कहिथे- वैक्सीन तो उहू ल तोरे संग लगे हे कका। वोहा कइसे मर जही तेमा। कोरोना तो वोला छू घलो नइ सकय। वैक्सीन फेल होये के हल्ला माते लगिस। बड़े-बड़े बिग्यानिक, डाक्टरमन वोकर घर पहुंचगे। जांच ऊपर जांच चलिस। जांच म पता लगिस परोसी ह महंगई ले मरे रहय बपरा ल महंगाई ले बांचे बर वैक्सीन लगा देतिन त आज वोकर घर म दुख नइ होचित। पूरा गांव ह धोखा खा गे। वोकर आखिरी किरयाकरम म नइ संघरे बर अपन आप ल कोसे लगिस। अब हरेक मनखे ह महंगई ले बांचे के वैक्सीन आये के अगोरा म लग गे।

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