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बरसात ह ककरो बर मजा ए, त ककरो बर सजा!

locationरायपुरPublished: Sep 21, 2021 05:08:51 pm

Submitted by:

Gulal Verma

का- कहिबे

बरसात ह ककरो बर मजा ए, त ककरो बर सजा!

बरसात ह ककरो बर मजा ए, त ककरो बर सजा!

मितान! मनमाड़े पानी बरसे ले सिरिफ किसानमन भर खुस नइ होवंय। पानी गिरे ले धरती के सबो परानी के मन ह अलग-अलग कारन से मयूर कस नाचथे। परसासन ह बाढ़ ले निपटे बर जउन इंतजाम करे रहिथे, वोकर हब ले पोल खुल जथे, तहां ले बिपक्छी नेतामन दांत निपोरथें।
सिरतोन! येदे सावन म सुक्खा परे खेतमन भादो के बारिस म भर गे। मरत फसल ल संजीवनी बूटी कर पानी मिल हे। किसानमन के मुरझाय चेहरा म खुसी छा गे। त दूसर डहर राजधानी रइपुर के सडक़मन तरिया बन गे। घर, दुकान म पानी भर गे। खाल्हे डहर के पारा-मोहल्लामन उररा-पुररा होगे। जम्मो बेवस्था तहस-नहस होगे। सत्तापक्छ के नेतामन मुंह लुकाय लगिन त बिपक्छी नेतामन गरजे-बरसे लगिन। अउ, जनता ह बोकबाय देखते रहिगिन। कभु अपन भाग ल कोसत, त कभु पंदरा बछर सरकार चलइयामन ल, त कभु अभु कुरसी म बइठे नेतामन ल बखानत रातभर पानी उलचत रिहिन। इही हाल परदेस के कतकोन गांव, कस्बा, सहर के रिहिस हे।
मितान! गरमी के मौसम म बिजली ह जब पाथे तब गुल हो जथे। उमस अउ गरमी से लोगन के बारा हाल हो जथे। फेर, जब जोरदार बारिस होथे तहां ले बिजली बिभाग के अधिकारी-करमचारीमन जाके राहत के सांस लेथें। काबर के आंधी-तूफान म बिजली तार म पेड़ गिरे, गाज गिरे, बिजली खंभा उखड़े जइसे कतकोन समस्या ल बिजली बिभाग वालेमन आगू कर देथें। अइसे म लोगनमन के मुंह घलो बंद हो जथे।
सिरतोन! अब्बड़ समे ले पराकरीतिक आपदा-बिपदा के अगोरा म हाथ म हाथ धरे बइठे कुछ दुस्ट किसम के आत्मामन के मुरझाय उम्मीदमन के पौधा ल बरखा रानी ह फेर संजीवनी बूटी सुंधा देथे। गरमी के मौसम म आइसकरीम के दुकान म उमड़े भीड़ ल देख-देख के मनेमन जल-भुन के राख होवइया भजिया वाला ह मौसम बदलतेच गुनगुनाय बर धर ले थे – ‘दुख भरे दिन बीते रे भइया, अब गराहिक आयो रे!’
मितान! परदेस के सरकार घलो ह राहत के सांस लिस। कतकोन तहसील ल सूखाग्रस्त घोसित करे के पहली जोरदार बारिस होगे। नइते, अकाल-दुकाल परे ले परेसानी होतिस। किसानमन मुआवजा लेके हो-हल्ला करतिन, बिपक्छी दल के नेतामन धरना-परदसन करतिन।
‘पानी रे पानी तोर रंग कइसन, जेमा मिझांर दे, वोकरे जइसन’, गीत गावत दूनों मितान खेत कोती चलते बनिन। जाड़, गरमी, बरसात कोनो मौसम रहय मरना तो सिरिफ गरीबमन के रहिथे। दुख-पीरा सहई, तकलीफ उठई तो गरीबमन के भाग बन गे हे। तभो ले देस-राज म कोनो छाप वालेमन के सरकार रहंय हालात जस के तस बनेच रहिथे, त अउ का-कहिबे।
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