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राममय छत्तीसगढ़ अउ छत्तीसगढिय़ा

locationरायपुरPublished: Oct 18, 2021 04:46:18 pm

Submitted by:

Gulal Verma

संस्करीति

राममय छत्तीसगढ़ अउ छत्तीसगढिय़ा

राममय छत्तीसगढ़ अउ छत्तीसगढिय़ा

भगवान सिरीराम के माता कौसल्या छत्तीसगढ़ (दक्छिन कोसल) के राजा भानुमंत के बेटी रिहिस। बनवास के दस बछर ल सिरी राम ह छत्तीसगढ़ म बिताइस। तुरतुरिया म महरसि वाल्मीकि के आसरम हे, जिहां माता सीता ल आसरय मिलिस। राजा सिरीराम के छोड़े राजसूय यग्य के घोड़ा ल लव-कुस म इहें पकड़े रिहिन। तेकर सेती सिरीराम ह छत्तीसगढ़ के रग-रग अउ छत्तीसगढिय़ामन के सांस-सांस म बसे हावय।
सांस-सांस म राम : छत्तीसगढ़ के पंडवानी गायन ह दुनिया भर म चरचित हे। पंडवानी ह कौरव-पांडव के गाथा ए। पंडवानी गायन के सुरू म जयकारा लगाय जाथे- ‘बोल बिनदावन बिहारीलाल की जय’। तहां कथा गायन के पहली लाइन म गाथे- ‘रामे, रामे, रामे गा रामे भइया…।’ किरिस्न, पांडव अउ कौरव के कथा कहे बर छत्तीसगढ़ी के पंडवानी गायक, कथाकार, कलाकारमन सिरीराम के पहिली सुमिरन करथें।
नांव म राम : हमर देस के उत्ती म रहवइयामन के नांव म राम ह सुरू म रहिथे। जइसे- रामसिरोमनि, रामकेसव, रामासरय, रामसरन…। फेर छत्तीसगढ़ के पिछड़ी जाति के लोगनमन के नांव के बीच म राम रहिथे। जइसे परदेसीराम वरमा, सुखरूराम सोनबोईर…।
जय राम मितान
हमर छत्तीसगढ़ म मितान बदे के परंपरा हावय। गंगाजल, महापरसाद, तुलसीदल बदथे अउ जिनगी भर नता ल निभाथें। ऐहा दूझन मनखे ल नइ दू परवार ल जोड़थे। मितानमन आपस म मिलथें त सीताराम मितान, जयराम मितान, राम-राम मितान कहिथें। गांवमन म राम कोठी होथे। ऐमा भरे धान ल जरूरत परे म गांव वालेमन उधार म लेगथें। कोनो भक्त कहे हे- ‘दाता एक राम, भिखारी सरी दुनिया’। छत्तीसगढिय़ामन ए कथन म पूरा आस्था रखथें।
अभिवादन से लेके हतासा तक म सिरीराम ह छत्तीसगढिय़ा मन के सांस म बसथे। छत्तीसगढिय़ामन हर समे राम के नांव लेथे।आदत अउ संस्कार म राम समाय हावय।
रमरमिहा सम्प्रदाय
महानदी के तीर म सारंगढ़ अउ बिलाईगढ़ छेत्र म रमरमिहा सतनामी सम्प्रदाय के लोग रहिथें। ऐमन अपन देह म राम नाम गुदवाथें। रमरमिहामन अवइया-जवइया ल राम कहिके बलाथें, वोकर नांव लेके नइ बलावंय। जइसे- कहा जाथस राम, कहां ले आवथस राम। खा डरे राम। बुता कर डरे राम….!
अंतिम यातरा म राम : ‘राम नाम सत है, सबकी इही गत हे’ ऐला देसभर म अंतिम बिदाई के समे समसान के यातरा करइयामन काहत-काहत जाथें।
राम यानी एक
काठा म अनाज नापथे त किसान ह पहिली नपई ल राम कहिथे। राम याने एक। राम एकता के परतीक ए। अभिवादन बर राम-राम कहे के परंपरा हे। जइसे- राम-राम भइया, राम-राम बबा, राम-राम सगा…।
राम सत्ता
छत्तीसगढ़ म राम सस्ता (राम सप्ताह) मनाय के परंपरा हे। रामकथा ल टोलीमन गा-गा के सुनाथें। छत्तीसगढ़ के गांवमन म रामलीला के मंचन घलो होथे। गांव के बीच म रामलीला चौंरा होथे। हर गांव म रावनभाठा होथे। रावनभाठा म रावन के पक्का पुतला ठाड़े रहिथे। बाहिर के रावन गांव म झन खुसरे तेकर सेती दसहरा के दिन हर बछर रावन ल जलाथें।
गीत-कविता म राम
छत्तीसगढ़ के लोक कलाकार अउ कविमन ‘राम’ सब्द के अब्बड़ परयोग करथें। गीत – कविता राम नांव से भरे हे। कवि रामेस्वर वैसनव ह एकझन अंधरा भिखारी के कहे ले लिखे गीत -‘बने करे राम मोला अंधरा बनाय’ म घलो राम हावय। कवि किसोर तिवारी ह नवा छत्तीसगढ़ राज बनिस त लिखित- ‘तोर ममागांव ह राज बनगे राम’।
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