खरतरिहा बेटा सुसील यदु
रायपुरPublished: Oct 03, 2018 07:26:42 pm
सुरता म
छत्तीसगढ़ के माटी अउ छत्तीसगढ़ी बर जबर बुता करइयामन के नांव अजर-अमर हे। जेमन आने-आने विधा के माध्यम ले जन-मन ल जगाय के उदीम करके माटी के सेवा के अलख जगइन।
साहित्य छेत्र म छत्तीसगढ़ महतारी के कोरा म खेले सुसील यदु के नांव ल सबो जानथें। वोहा अपन रचना ल सुमधुर लोक राग रागिनी म परस्तुत करके लोगनमन के मन ल मोह लेवंय। नानपन म साहित्य के परति रूझान ह वोकर जिनगी के सार जिनिस बनिस।
सुसील यदु म बोले-गोठियाय, लिखे-पढ़े अउ मौलिक कारयसइली के संगे-संग मानवसेवी के भावना ह कुट-कुट के भरे रहिस। नवा लिखइयामन ल परोत्साहन अउ जुन्ना लिखइयामन ल सम्मान देय म कमी नइ करत रहिन। वोकर परसादे म साहित्य समिति के आयोजन म दूरिहा-दूरिहा ले अवइया साहित्यकार अउ छत्तीसगढ़ी पढ़इया-लिखइयामन ल तिहार बरोबर लागय। परदेस के सबो जिला के साहित्यकारमन ल संगठित करे के वोकर म बहुचेत छमता रहिस।
सुसील यदु ह छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति के मुखिया अउ अगुवा रहिस। तिल्दा के साहित्य सम्मेलन 2017 ह वोकर जीवनकाल के आखरी सम्मेलन होइस। उदुप ले 23 सितंबर 2017 के वोहा सरग सिधार गे। वोकर बितई ह साहित्याकर, कलाकार, गायक, लेखक अउ संस्करीति ले जुरे बुद्धिजीवीमन ल आजो अब्ब्ड़ बियापत हे।
लिखे अउ संपादन करे किताब
सुसील यदु ह बदरीविसाल परमानंद के सुराजी वीर, हपट परे त हर-हर गंगे, बगरे मोती, हेमनाथ यदु के व्यक्तित्व अउ किरितित्व, पिवरी लिखे तोर भाग, बनफूलवा, सतनाम के बिरवा, रामपरसाद कोसरिया के छत्तीसगढ़ी नायक, लखनला गुप्त के लोकरंग, सुसील यदु भाग-2, घोल घोला बिना मंगलू नइ नाचय रे, ररूहा सपनाये दार-भात, उधोराम झकराम, अमरति कलस, हरि ठाकुर माटी के मया, केसव दुबे के हरियर आमा घन मउरे, सुरता राखे रबे संगवारी अउ समिति के आयोजन के वारसिक अंक परकासित होय हे।