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गाय ह गरु होगे!

locationरायपुरPublished: Aug 29, 2018 05:24:22 pm

Submitted by:

Gulal Verma

मालिकमन के जादा गलती हे

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गाय ह गरु होगे!

जे न ल लछमी मानन तेन ह आज नदावत हे। जेन ह हमर छत्तीसगढिय़ामन के सान राहय, हमर देस के पहिचान राहय वो हमर गऊ महतारी के कोनो पूछइया नइये। सिरतोन म कलिजुग ह बाढ़ गे। पहिली घरो-घर म दूध, दही, मही ह मिलय अउ गऊ के अब्बड़ मान राहय। बिहनिया ले वोकर सेवा म लग जांय। अब तो पइसा के मोल होगे। मनखे ह उही जिनिस के पाछु म लगे हे जेकर ले जियत अउ मरत पइसा मिलथे। तेकरे सेती छेरी अउ बोकरा के पाछू म सबोझन जावत हें अउ गाय गरवा ल भुलावत हें।
अब के जमाना म काकरो-काकरो दुवारी म बस गाय गरवा ह दिखथे फोकट म घलो कोनो राखे बर तइयार नइये। वोकर संग दूध-दही घलो खोजे म नइ मिलय। वोमन ह वोकर जतन नइ कर सकत हें अउ उंकरमन के चरवाही बर भांठा, बंजर भुइंया घलो नइये। राउतमन ह घलो अब चरावत नइये। वोमन दूसर काम-बुता म जुड़त हें। तेकर सेती समसिया ह अउ बाढ़ गे। चातर राज के गांव वालामन ह अपन गाय-गरवा ल जंगल डहर पठो देथें त कोनो-कोनो ह अइसने खेद देवत हें। लागथे अब गाय ह गरू होगे हे। ऐहा अब्बड़ दुख के बात आय।
गौ माता ह आज दुरगति के कगार म ठाड़े हे। गौमाता ह मनखे के अब्बड़ काम आथे, फेर बदला म कुछु नइ मिलय। बुढ़ाथे या बीमार होथे त वोला बेच के छुटकारा पा जाथन। बेचे के पाछू वोकर संग काय बीतथे तेला जाने के जरवत नइ करन। जीयतभर हमर बर उपयोगी हरय अउ मरे के पाछू घलो। इही गौमाता ले कतकोझन के जिनगी, रोजी-रोटी चलथे।
आज गौ बचाओ आंदोलन के ढिंढोरा पिटइया बड़े-बड़े मनखे अउ नेतामन के रहात ले धमतरी म दू सौ गरवामन के मौत होगे, कतको ह गायब होगे। एक डहर गौमाता कहिथें अउ दूसर डहर उही गौमाता के सौदा करथें। सबले बड़े गलती गरवा मालिकमन के हरय। गरवा के खरीदी बिकरी ल अनचिनहार मनखेमन करा झन करंय। इहां- उहां के दलालमन ले झन ठगाव। जउन अइसन करे उंकर खिलाफ कड़ा कारवाही करे अउ कानून के संग देवंय। एक दिन देवारी तिहार दिन पूजा करके वोकर बर हमर फरज ह नइ छुटाय। गौमाता ल बचावंन, वोकर जतन करंन, वोकर बर दया भाव राखंन। वोला मरे ले बचावंन। तभे गौमाता कहे के आधिकार हे।
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