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छत्तीसगढ़ म दसहरा

locationरायपुरPublished: Oct 18, 2018 07:49:20 pm

Submitted by:

Gulal Verma

परब बिसेस

cg news

छत्तीसगढ़ म दसहरा

दसहरा तिहार ह सामाजिक समरसता अउ विस्व बंधुत्व के संदेसा ले के आथे। कतको गंवई म नवरात म नौ दिन तक रामलीला होथे। ऐकर बाद दसवां दिन रावन, मेघनाथ अउ कुंभकरन के पुतला जलाए जाथे। दसहरा ह असत म सत के, अन्याय ऊपर नियाव के जीत के तिहार हे। जम्मो मनखेमन ल अपन अंतस के रावन जइसे दुरगुन ल मारे के संदेसा देथे दसहरा तिहार। इही पाइके हमर अंचल म दसहरा के अलगेच उछाह लोगनमन म देखे जाथे।
दसहरा के तियारी पहिली ले करे जाथे। रकम-रकम के चौकी सजाय जाथे। ए चौंकी म राम, लछमन अउ सीता के बन गमन के झांकी बनाय जाथे। छोटे सहरमन म एकठन बड़का मइदान म रावन के कागज ले पुतला बनाय जाथे। संझौती बेरा जब होथे, त सब नवा कपरा पहिन के दसराहा मइदान मा जुरत जाथें। राम, लछिमन अउ हनुमान ल पालकी म बइठार के धूमधाम से जुलूस निकाले जाथे। राम, लछमन अउ हनुमान के दरसन करके सब अपनआप ल धनभाग समझथें।
रावन के पुतला जले के बाद वोकर राख ल रैनी बांटथे। अइसे कहे जाथे कि रावन के बध होय के बाद विभीसन के राज तिलक होइस त ऊंहा बनेच सोना चांदी जनतामन ल बांटे गे रिहिस।
दसहरा परब के संग म कतको परंपरा जुड़े हावे। इही दिन टेहररा चिरई के दरसन करई ल सुभ माने जाथे। महादेव जउन महुरा ल पीके नरी म अटका ले हे तेकरे सेती उंकर नरी नीला होगे हे। उही सेती टेहररा चिरई के दरसन ल नीलकंठ महादेव के दरसन के फ ल पाएन समझे जाथे। नीलकंठ चिरई के दसहरा के दिन दरसन करे के एकठन एहू कारन आय कि जब राम ह लंका म चढ़ई करे के तियारी करिन तब अपन विजय बर भोला संकर महादेव के स्थापना करके उंकर पूजा करिन। जउन सेतुबंध रामेस्वर के दरसन अउ गंगा जल चढ़ाय बर आजो ले हजारों नर नारी रामेस्वर जाथें। उही संकरजी के आसीरवाद पाके राम ह रावन ऊपर विजय पाइस।
एकठन अउ गोठ हावे दसहरा परंपरा के संबंध म। कहे जाथे कि राम लछमन लड़त थक जावय त एकठन रूख के खाल्हे म बइठ के सुरताय। वो रूख ल कोनो-कोना सेमी के रूख कहिथें अउ कोनो-कोनोमन ह सोन पान के रूख कहिथें। ए पान ल सोनपान कहिके दसहरा के दिन राम विजय के खुसी म एक-दूसर ल बांटथें। राजा ले लेके निच्चट गरीब तक सोनपान बर हाथ पसारथें। रावन मारे के बाद मनखेमन अपन घर लउटथें। घर म माईलोगिनमन ह चौक पूरके पीढ़ा रखथें। पीढ़ा म मनखेजातमन ह ठाढ़ हो जाथे। माईलोगिन ह ऊंकर आरती उतारथें अउ विजय तिलक लगाथें। मनखेमन ह संग म लाय रैनी ल धन के रूप म भेंट करथें।
दसहरा के दिन समी रूख के बिसेस पूजा करे जाथे। घर-घर म अस्त्र-सस्त्र के पूजा अउ परदरसन घलोक करे जाथे। छत्तीसगढ़ के बस्तर दसहरा दुनियाभर म म परसिद्ध हावे।

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