scriptजनता सिरिफ वोट देवइया भर तो आय ! | chattisgarhi vayang new | Patrika News

जनता सिरिफ वोट देवइया भर तो आय !

locationरायपुरPublished: Jun 21, 2018 08:15:55 pm

Submitted by:

Gulal Verma

का-कहिबे…

cg news

जनता सिरिफ वोट देवइया भर तो आय !

राम-राम बाबा! बाबा ह अपन दूनों हाथ उठाके बोलिस- बच्चा तोर कलियान होही। तेहा धनवान बनबे। तेहा दू सौ बछर जीबे। तोला दुनिया मानही। तेहा हवा म उडिय़ाबे।
बाबा आघू अउ कुछु बोलतिस वोकर पहिली वोहा वोकर गोड़ धरलीस अउ बोलिस- बस, बाबा बस। ऐकर ले जादा बोलहू त मोर पेट फूट जही। अतेक आसीरवाद मेहा एक संग नइ पचा सकंव। मेहा नेता नोहंव! वइसे सियानमन कहिथें – ‘कोनो भी जिनिस के अति ह बने नइ होवय।Ó अति का होथे तेला नइ जानन। काबर के, हमर आमदनी अतकेच होथे, जेमा घर-परवार लट्टे-पट्टे चलथे।
बाबा ह थोरकिन गुस्सावत कहिस- सकल ले तो पइसा वाला दिखथस। फेर, खींसा ले कंगला हस। वोहा कहिस- बाबा, इही तो मरना हे। खींसा ले धनवान रहितेंव त महू ह नेता होतेंव। जइदाद नइये, तेकर सेती कोनो भाव नइ दंय। चुनई के समे पांच बछर म एकपइत पूछथें, हाथ जोड़थें। पांव परे बर धरथें। काबर के, कोहिनुर हीरा कस एक ‘वोटÓ के मालिक जउन होथंव। वोकर गोठ सुनके बाबा ह खिसियावत कहिस- नेता समझ के का-का उम्मीद लगा डरे रहेंव, तेहा तो बस ‘वोट देवइयाÓ भर निकले।
ये सुनके वोला अपन बबा के सुरता आ गे, जउन कहे रहिस- ‘कभु लबारी नइ मारे बर चाही।Ó वोहा कहिस, बाबा आप जइसन कोनो बाबा नइये। आपमन तो उद्योगपति जइसे हो। जउन अपन फाइदा बर ‘साम-दाम-भेदÓ अपनाय बर तनिक नइ हिचकंय। पक्का बेपारी कस घलो हो। बेपारीमन पइसा कमाय के खातिर ईमान-धरम ल छोड़ देथें।
अतका सुनके बाबा ह आंखी ल ततेरे बर धरलीस। बाबा कहिस, वाह रे गरीब जनता। तेहा तो बढ़ भीतर के बात जानथस। मोर मन करथे अभीच्चे इही जघा सराप देके तोला भस्म कर दंव। वोहा कहिस, नइ बाबा। अभी आपमन ल अपन सक्ति के बहुचेत जरूरत परही। जब तक आपमन धरम-करम के आड़ म राजनीति करत रइहू। संन्यासी होके कटु वचन बोलत रइहू। नेतामन कस आरोप लगावत रइहू। तब तक आपमन मोला सराप झन दव। ये सब झंझट -झमोला ले उबरे के बाद आपमन के ‘सरापÓ बांच जही त फेर मोला देहू।
वोकर बात ल सुनके बाबा थोरकिन चिंता म परगे। जोर से बोलिस- ‘तोर बात से मोला तोर बिपक्छी पारटी के कारयकरता होय के संका होवत हे।Ó मेहा सब समझथंव। ऐहा बिपक्छीमन के चाल आय। वोहा कहिस- नइ बाबा, मेहा तो आम जनता अंव। ‘मानबे त गंगा दाई ए, नइ मानबे त बोहावत पानी ए।Ó वोइसने आपमन मानहूं त जनता ह जनारदन हे। जनता ह लोकतंत्र के मालिक ए। नइ मानबे त जनता ह सिरिफ ‘वोट देवइयाÓ भर आय।
जब चुनई ह महाभारत के जुद्ध होगे हे। तीर-कमान, भाला, तलवार, गदा के जघा जुबान चलत हे। दुरपति के चीरहरन कस नेतामन एक-दूसर के चरितहनन करत हें। येन-केन-परकारेन चुनई जीतई अउ सत्ता हथियई ह धरम-करम होगे हे, त अउ का-कहिबे।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो