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बादर म उड़इयामन ल भुइंया म उतरे बर परथे!

locationरायपुरPublished: Dec 25, 2018 07:30:22 pm

Submitted by:

Gulal Verma

का-कहिबे…

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बादर म उड़इयामन ल भुइंया म उतरे बर परथे!

पानठेला खुलिस तहां बहुतझन मनखे जुरिया जथें। तहां सुरू हो जथे रंग-रंग के गोठ-बात। आजकाल तो बस ‘राजनीतिÓ छाए हे। खेती-किसानी, घर-परिवार, देस-दुनिया, मौसम, पानी-कांजी के बात करत-करत, घूम-फिर के फेर ‘राजनीतिÓ डहर पहुंच जथें।
पानठेला म चलत फिलिम मदर इंडिया के गीत – ‘दुख भरे दिन बीते रे भैया अब सुख आयो रे, रंग जीवन में नया लायो रेÓ, ल सुनके एकझन किसान ह मुस्कावत रहिस। वोला लागत रहिस के ‘बने दिनÓ आ गे। अब तो सबो दुख-पीरा बिसरा जही। ख्रेती-किसानी डहर ले मुंह फेरइया किसान के बेटामन फेर लहुटहीं।
‘राजनीतिÓ के चलत बहसबाजी म एकझन सियान ह कहिस- जनता ह सरकार चुन लीस। जेकर उप्पर जादा बिसवास रिहिस, वो पारटी जीत गे अउ सरकार बना लीस। नवा सरकार ह तो चुनई के समे करे वादामन ल पूरा करे के सुरू घलो कर दीस। फेर, जीते पारटी ह बहुत अकन वादा-घोसना करे हे, सबो ल पूरा करे बर चाही।
वोकर बात सिराएच नइ पाय रहिस अउ एकझन जवनहा ह बीच म बोले बर धरलीस। सिरतोन! हमर परदेस म उदार अउ सहज परसासन चाही। इहां के बेरोजगार लइकामन सरकार ले ए चाहत हावंय के वोकरमन बर कब, कइसे, कहां अउ कतेक रोजगार पइदा करके देवत हव। आज के जवान लइकामन के पहिली जरूरत अपन पांव म खड़े होवई हे। वोमन ल बस रोजगार चाही। वोमन ए मानथें के यदि ‘खींसा म पइसा हे, त दुनिया ह मुठा म हे।Ó
बीड़ी सुलगावत एकझन सियान ह बोलिस – ‘समे बड़ बलवान होथे।Ó समे ह लोगन ल का-का रंग, कब देखा देही तेन ल कोनो नइ जानंय। कोन जानत रिहिस के पंदरा बछर ले राज करइया पारटी के अइसन दुरदसा होही। कोन कह सकत रिहिस के 65 सीट जीते के लक्छ लेके चुनई लड़इया पारटी ल लट्टे-पट्टे 15 सीट मिलही। कोन ल खिलाय रिहिस के विधानसभा अध्यक्छ जइसे बड़का नेता ल पहिली पइत चुनई लड़इया एकझन नोनी ह हजारों वोट के अंतर से हरा देही। एके विधानसभा छेत्र ले तीन-तीन पइत जीतइया, जन-जन के नेता कहइया, सबो के दुख-सुख म सामिल होवइया ‘भाईÓ ल हार के मुंह देखे बर परही। इही समे के खेल ए। ऐकर सेती सियानमन कहे हें- ‘अपन मुड़ ल बादर म नइ टांगे बर चाही।Ó
सिरतोन कहे बबा! दुनिया बदलत हे। राजनीति घलो बदलत हे। जीतइयामन बदलत हें अउ हरइयामन घलो बदले के देखावा करत हें। जनता के गुस्सा जब मुड़ के उप्पर चल देथे त वोहा अपन वोट ले बड़े-बड़े तख्त अउ ताज ल गिरा देथे। हमन तो सबो सत्ताधारीमन ले इही कहे बर चाहथन- अरे वो घमंड के पुतलामन, कभु आम मनखे के ताकत ल कम करके नइ आंके बर चाही। वोकरमन के एक चुनावी ‘मुटकाÓ ह बादर म उड़इया नेतामन ल भुइंया म उतार देथे। फेर, पछतइच-पछतइच, रोवइच-रोवइच हे।
तीनठन परदेस म फूल छापवाले दल के हार वो सबो सत्ताधारी दलमन बर एक चेतावनी ए, जउनमन पद अउ कुरसी ल अपन जइदाद समझे बर लगथें। ‘जब चुनई हारे, सत्ता गंवाय के बाद घलो राजनीतिक दलमन वादाखिलाफी करे ले नइ छोड़ंय, त अउ का-कहिबे।Ó
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