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टुकुर-टुटुर देखई

locationरायपुरPublished: Mar 13, 2019 07:40:22 pm

Submitted by:

Gulal Verma

गोठ के तीर

cg news

टुकुर-टुटुर देखई

जब ले रइपुर आए रहेंव, नेतामन के जन्मदिन के पोस्टर ल देख के मोर मन ह कसमसा के रइगीस। मोला लगिस के मेहा रइपुर नइ कोनो नेता के घर म पहुंचगेंव। का रे बाबू हमन ये नेतामन ल वोट देके अतके कन गलती करे हन कि, हमन अपन लइका के जननदिन ल भुला जथन। फेर ये नेतामन के जनमदिन के पोस्टर ह साल भर रइपुर सहर म चटके रहिथे। ऐमन राजयोग ल पाने वाला पूरा बछर जनमदिन ल मनाथे। का योगी, का संन्यासी, सबके जनमदिन के फोटो ह गली-गली म चटके रहिथे। कभु-कभु खूंखार असन ऐकरमन के सकल ल देख के नानकन लइकामन डरा घलो जथें। मेहा घलो ये नेतामन अउ उंकर चमचा के कुटिल हंसी वाला फोटू ल देख के चक्कर म पड़ जथंव। येमन हांसथें धन कुट रचना करथ हावय।
एक घंव एक नेता के चमचा ल पूछेंव- कइसे रे बाबू, भोगी के जनमदिन म तोर फोटू गली-गली म चपके रहेय। कहां ले भिड़ाय हस अइसन कनेक्सन! चमचा ह दांत ल निपोरे लगिस। फेर मेहा कहेंव- कहां ल पाथस अतेक कन पइसा, हमुमन ल बताते त जिनगी ह तर जतीस! फेर वो चमचा ह दांत ल निपोरेकस करिस। मोर गोठ ह वोला गुदगुदी कस लासिग। मोला कहिथे- हट रे बुढ़उ, तैं का जानबे ए चीज ल, इही ल कहिथे ‘राजनीतिÓ! तुमन का जानहु राजनीति ल! बस धान ल बोथव, बासी ल खाथव। येला कहिथे बोआई, चुनई होही तेकर बाद करे जाथे लुआई। ही ही.. हांसे लागीस।
फेर मेहा पूछेंव- बोआई म कतेकन खरचा आइस? चमचा ह मोर बर भड़क गे, फेर कुटिल हंसी मा दांत ल चाब के कहिथे-डेढ़ करोड़! डेढ़ करोड़़ के खरचा जनमदिन म सुनके मोर होस उड़ा गे रहय। फेर कइसनो हिम्मत करके मेहा पूछेंव- लुआई म का होही? वोहा दांत ल निपोर के कहिस- दलाली मिलही डेढ़ अरब के! अब मेहा चुप हो गेंव। भागे के रद्दा खोजत रहेंव। अइसन खेती मोर पुरखा तक नइ जानय। मेहा वो जगा ले चलते बनेंव। कभु ऐ गली, कभु वो गली। जिहां मेहा जातेंव, वोकरेमन के फोटू ह चपके राहय। येमन के बोआई ल मेहा धान कस टुकुर-टुकुर देखत खड़े रहेंव!

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