scriptनाला में बने चेक-डेमों ने धान के बाद सब्जी की खेती को बनाया संभव | Check-demons made in the drain have made vegetable cultivation possibl | Patrika News

नाला में बने चेक-डेमों ने धान के बाद सब्जी की खेती को बनाया संभव

locationरायपुरPublished: Jul 10, 2020 06:59:37 pm

Submitted by:

lalit sahu

60 किसानों को अब सालभर मिल रहा है खेती के लिए पानी, नलकूपों के जलस्तर में भी अच्छा सुधार
जल संवर्धन के लिए मनरेगा के तहत जीरानाला में बनाए गए हैं 7 चेक-डेम

नाला में बने चेक-डेमों ने धान के बाद सब्जी की खेती को बनाया संभव

नाला में बने चेक-डेमों ने धान के बाद सब्जी की खेती को बनाया संभव

रायपुर. मनरेगा(महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) से ग्रामीण परिवारों को सीधे रोजगार मिलने के साथ ही परिसंपत्ति निर्माण, आजीविका संवर्धन और प्राकृतिक संसाधनों को सहेजने के काम भी हो रहे हैं। खेती-किसानी को भरोसेमंद और ज्यादा लाभ का व्यवसाय बनाने व्यक्तिगत कुओं एवं डबरियों के निर्माण के साथ ही सामुदायिक स्तर पर भी जल संवर्धन के कार्यों द्वारा सिंचाई के साधन विकसित किए जा रहे हैं। इससे जलस्रोतों के जलस्तर में सुधार आने के साथ ही भूमि का क्षरण भी रूका है।
मनरेगा के अंतर्गत रायगढ़ जिले के जीरानाला में बनाए गए सात बोल्डर चेक-डेमों ने 62 किसानों की खेती का तौर-तरीका बदल दिया है। पहले केवल बरसात के मौसम में ही बहता दिखाई देने वाला जीरानाला अब बारिश के पहले और बाद भी जीवंत दिखाई दे रहा है। इससे जीरानाला से सटे 75 एकड़ खेत में अब सालभर फसल लहलहा रही है। चेक-डेमों के निर्माण के बाद नाला में पर्याप्त पानी रूकने से किसान धान के बाद सब्जी की खेती कर रहे हैं। धान की अच्छी पैदावार के साथ सब्जी उत्पादन से उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है।
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बरमकेला विकासखण्ड के डूमरपाली ग्राम पंचायत ने वर्ष 2019-20 में गांव में बहने वाले जीरानाला में भूमि क्षरण रोकने और जल संग्रहण के लिए मनरेगा के तहत चेक-डेमों का निर्माण करवाया था। 77 हजार रुपए की लागत से नाला में सात अलग-अलग जगहों पर बोल्डर चेक-डेम बनवाए गए थे। इस काम में गांव के 33 परिवारों को कुल 317 मानव दिवसों का सीधे रोजगार मिला था। गांव की 20 महिला और 33 पुरुष श्रमिकों ने ये चेक-डेम बनाए थे। चेक-डेम बनने के बाद जीरानाला में पानी ठहरने से रिसन के माध्यम से भू-जल भंडारण में भी वृद्धि हुई है। नाला से लगे किसानों के खेतों में खुदे 12 नलकूपों में इसका असर साफ देखा जा सकता है। चेक-डेम बनने के पहले मई-जून के महीने में इन नलकूपों का जलस्तर 400-500 फीट नीचे चला जाता था। पर अब यह 150-250 फीट पर आ गया है। भू-जलस्तर बढऩे से आसपास हरियाली भी बढ़ गई है।
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जीरानाला में जल संवर्धन कार्यों से जिन किसानों को फायदा हुआ उनमें प्रफुल्ल भोये भी एक हैं। दो एकड़ जोत के किसान भोये बताते हैं कि नाला के पानी से धान के बाद उन्होंने बरबट्टी, बैंगन, करेला, मिर्च और तोरई की पैदावार ली है। इस साल सब्जी बेचकर लॉकडाउन के बावजूद उन्होंने करीब डेढ़ लाख रुपए की कमाई की है। चेक-डेम निर्माण के दौरान उन्होंने छह दिन काम किया था जिसकी उसे 1056 रूपए मजदूरी प्राप्त हुई थी। प्रफुल्ल भोये के साथ ही उनके पड़ोसी किसानों प्रमोद भोये, रिबे साहू, नातोकुमार खमारी और हेमराज भोई ने भी नाला के पानी का उपयोग कर सब्जी की खेती से इस साल अच्छा मुनाफा कमाया है। मनरेगा से हुए जल संवर्धन के इस काम ने कई किसानों के खेतों में हरियाली लाकर उनका जीवन खुशहाल कर दिया है।
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