Read more: पटाखा फोडऩा जरूरी नहीं, इन 5 तरीकों से भी मना सकते हैं हैप्पी दिवाली भोजन में गुड़ की खीर जरूरी नहाय खाय के बाद अगले दिन यानी 24 को खरना होगा। यह कार्तिक शुक्ल की पंचमी तिथि मनता है। इस दिन व्रतधारी दिनभर उपवास रख शाम को भगवान को प्रसाद का भोग लगाकर भोजन करते हैं। भोजन में गुड़ की खीर बनती है, जिसमें साठी का चावल विशेष रूप से होता है। इसके अलावा मूली, केला और पंचरंग होता है। इन सबको मिलाकर पूजा की जाती है। खरना के दिन किसी तरह की आवाज आने पर व्रतधारी खाना छोड़ देते हैं। इस दिन खासतौर पर ध्यान रखा जाता है कि व्रती के कान तक किसी भी तरह का शोर न आ पाए। क्योंकि जरा सा भी शोर हुआ तो व्रती उसी वक्त खाना छोड़ देगा।
मिट्टी के नए चुल्हें पर आम की सूखी लकड़ी से बनता है प्रसाद खरना का प्रसाद नए चुल्हे पर ही बनाया जाता है। चुल्हे की खासियत होती है कि यह मिट्टी का बना होता है और केवल आम की सूखी लकड़ी को ही जलाकर प्रसाद बनाया जाता है। व्रती महिलाएं एक बार जब प्रसाद ग्रहण करती हैं उसके बाद वो छठ पूजा समापन के बाद ही कुछ खा पाती हैं। खरना के अगले दिन सांझ को डूबते सूर्य को अघ्र्य दिया जाता है। इस दिन व्रती और परिजन घाट पर जाते हैं और वहां पर सूर्य भगवान की उपासना की जाती है। अगले दिन सूर्य उगने के समय उन्हें अघ्र्य देकर पूजा का समपन होता है। अघ्र्य घर के पुरुष, भाई, पति, पिता या ब्राö आदि देते हैं।
यह है मान्यता – मान्यता है कि जब पांडव जुए में अपना सारा राज-पाट हार गए थे तब द्रौपदी ने छठ व्रत किया। व्रत से दौपद्री की मनोकामना पूरे हो गई थीं। तभी से इस व्रत की प्रथा चल रही है। इसी प्रकार यह भी कहा जाता है कि सूर्य देव और छठी देवी का रिश्ता भाई-बहन का है।
Read more: हर बच्चे के चेहरे पर छा गई मुस्कान, जब दीपावली की पूर्व संध्या पर पत्रिका परिवार पहुंचा वनवासी शबरी कन्या आश्रम छठ पूजा 2017 – शुभ मुहूर्त- छठ पूजा पर सूर्योदय- सुबह 6.41
छठ पूजा 2017 – शाम 6.05 बजे
छठ पर्व तिथि – 26 अक्तूबर 2017
षष्ठी तिथि प्रारंभ – सुबह 09.37 से (25 अक्टूबर 2017)
षष्ठी तिथि समाप्त – दोपहर 12.15 बजे तक (26 अक्टूबर 2017)
छठ पूजा 2017 – शाम 6.05 बजे
छठ पर्व तिथि – 26 अक्तूबर 2017
षष्ठी तिथि प्रारंभ – सुबह 09.37 से (25 अक्टूबर 2017)
षष्ठी तिथि समाप्त – दोपहर 12.15 बजे तक (26 अक्टूबर 2017)