रायपुर

छत्तीसगढ़ में पहली बार कोर्ट ने सुनाई 37 दिन में फैसला, 4 साल की मासूम बच्ची के दुष्कर्मी को 20 साल की सजा

अदालत ने बच्ची से बलात्कार के मामले में कृष्णा चंद्राकर (63 वर्ष) को 20 वर्ष कैद की सजा सुनाई है साथ ही अदालत ने चंद्राकर पर 50 हजार रुपए जुर्माना भी लगाया है।

रायपुरNov 19, 2019 / 09:52 pm

bhemendra yadav

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रायपुर. छत्तीसगढ़ के मंदिर हसौद में 4 वर्षीय बच्ची से बलात्कार मामले में सप्तम अतिरिक्त सेशन जज राजीव कुमार ने एक व्यक्ति को 20 वर्ष कैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने तत्परता दिखाते हुए में मामला आने के 37वें दिन अपना फैसला सुनाया।
मंदिर हसौद थाना क्षेत्र की इस घटना में विशेष लोक अभियोजक मोरिसा नायडू ने जानकारी देते बताया कि सप्तम अतिरिक्त सेशन जज राजीव कुमार की अदालत ने बच्ची से बलात्कार के मामले में कृष्णा चंद्राकर (63 वर्ष) को 20 वर्ष कैद की सजा सुनाई है साथ ही अदालत ने चंद्राकर पर 50 हजार रुपए जुर्माना भी लगाया है। नायडू ने बताया कि अदालत ने पॉस्को एक्ट के तहत जल्द सुनवाई करते हुए 37 दिनों में ही फैसला सुना दिया। अधिवक ने बताया कि 12 अक्टूबर को चंद्राकर ने बच्ची से बलात्कार किया था।

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मासूम बच्ची ने मां को बताई आपबीती
दर्ज प्रकरण के मुताबिक 4 वर्षीय पीडि़ता ने पूरा वाक्या अपनी मां को बताया। मां के पूछने पर उसने बताया कि पास ही रहने वाले दादा ने चॉकलेट देने के बहाने उसे अपने पास बुलाया और उसके साथ दुष्कर्म किया। मासूम की तबीयत बिगडऩे पर उसकी मां ने 13 अक्टूबर को मंदिर हसौद पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई। 14 अक्टूबर को पुलिस ने कृष्णा चंद्राकर को गिरफ्तार किया। कोर्ट में आरोपी कृष्णा चंद्राकर ने अपने कृत्यों को अस्वीकार किया और अपनी ओर से दो गवाह पेश किए। सबूतों के आधार पर कोर्ट ने कृष्णा चंद्राकर को नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने का दोषी पाया और बीते 18 नवंबर को उसे 50 हजार रुपए के अर्थदंड के साथ 20 साल सश्रम कारावास की सजा दी।

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जांच जल्द, इसलिए फैसला भी जल्द, दिव्या शर्मा को विभाग ने किया पुरस्कृत
प्रदेश में पहली बार इतनी जल्द पॉस्को एक्ट मामले की सुनवाई हुई, जिसकी जांच तेलीबांधा थाने की सब इंस्पेक्टर दिव्या शर्मा ने की। इसके लिए उन्हें विभाग की ओर से पुरस्कृत किया गया। नाबालिग से दुष्कर्म की यह दूसरी कार्रवाई है, जिसमें कोर्ट ने 37 दिनों में ही फैसला सुना दिया। मामले में जांच जल्द करने की वजह से ही कोर्ट ने केवल 37 दिन में ही अपना फैसला सुनाया है।

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