बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार पूर्व मंत्री और विधायक रामपुकार सिंह इस समिति के अध्यक्ष होंगे। इसमें ननकीराम कंवर, पुन्नूलाल मोहले, भुनेश्वर बघेल, मनोज मंडावी सहित अनुसूचित जाति-जनजाति विभाग के सचिव और संचालक भी समिति के सदस्य के रूप में रहेंगे। बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि यह समिति जब राज्यों के दौरे पर जाए तो वहां सरकार के अधिकारियों के साथ समुदाय के लोगों से भी चर्चा करें। बैठक में आदिम जाति विकास मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह, गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू, महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेंडिय़ा, उद्योग मंत्री कवासी लखमा, खाद्य मंत्री अमरजीत सिंह भगत सहित राज्य स्तरीय सतर्कता एवं मॉनिटरिंग समिति के सदस्य विधायक व विभागीय अधिकारी मौजूद थे।
फर्जी प्रमाणपत्र के जरिए नौकरी करने वालों पर सख्ती के निर्देश
बैठक में मुख्यमंत्री ने गलत जाति प्रमाणपत्र के आधार पर जो लोग शासकीय सेवा में कार्यरत हैं, उनके प्रमाणपत्रों की जांच के कार्यो में तेजी लाने और दोषियों के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई करने के निर्देश दिए। उन्होंने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज प्रकरणों का शीघ्र निराकरण करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन प्रकरणों में न्यायालय से स्थगन मिला है, उनमें स्टे वेकेट कराने के प्रयास किए जाएं।
वर्तमान में इन कारणों से आ रही दिक्कत
जाति प्रमाणपत्र बनाने में अभी कई तरह की दिक्कतें आ रही है। अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग के लोगों से 1950 के पहले के शासकीय दस्तावेज और पिछड़ा वर्ग के लोगों से 1984 के पहले के दस्तावेज मांगे जाते हैं।
अफसरों का कहना है कि पुराने समय में बहुत कम लोग पढ़े- लिखे होते थे। वहीं वनाचंल क्षेत्र में जमीन से संबंधित दस्तावेज नहीं होते थे। इस वजह से प्रमाणपत्र बनाने में दिक्कत आ रही है। वहीं बहुत से लोगों की दाखिला खारिज में जाति के स्थान पर हिंदू, मुस्लिम व ईसाई लिखा है। इससे उनकी जाति का पता नहीं चल पता है। ऐसे लोगों को भी प्रमाणपत्र जारी करने में दिक्कत आ रही है। मात्रागत त्रुटियों की वजह से भी जाति प्रमाणपत्र नहीं बन पा रहे हैं।
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