दरअसल, ये पूरा विवाद चैंबर ऑफ कॉमर्स की वेबसाइट के निर्माण को लेकर शुरू हुआ। चैंबर वेबसाइट विवाद बरलोटा के लिए घातक साबित हुआ। खबरों के अनुसार बरलोटा संगठन के कुछ पदाधिकारियों के अनियमित खर्चों से काफी परेशान थे। संगठन में विवाद को बढ़ता देख बरलोटा ने पहले मामले का सुलझाने की कोशिश की, लेकिन विवाद बढ़ता ही चला गया। उन्होंने शुक्रवार को सोशल मीडिया के जरिए पद से मुक्त होने की जानकारी दी।
इस्तीफा देने के बाद बरलोटा न तो वे फोन उठा रहे हैं न ही किसी मैसेज का जवाब दे रहे हैं। छत्तीसगढ़ चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि किसी निर्वाचित अध्यक्ष ने इस्तीफा दिया हो। जितेन्द्र बरलोटा बहुत अनुभवी और सुलझे हुए माने जाते हैं। उन्होंने पूरनलाल वर्मा और श्रीचंद सुंदरानी दोनों के कार्यकाल में चैंबर की बेहतरी के लिए काम किया है।
बताया ये भी जा रहा है कि वे विधायक और चैंबर संरक्षक श्रीचंद सुंदरानी के दबावपूर्ण बर्ताव से भी काफी नाराज चल रहे थे। सूत्रों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से चैंबर अध्यक्ष बरलोटा को कुछ वरिष्ठ, तो कुछ अधीन पदाधिकारियों का समुचित सहयोग उन्हें नहीं मिल पा रहा है। यही कारण है कि गुपचुप तरीके से कुछ निर्णयों को लेकर भी अनबन की स्थिति निर्मित हुई।
चैंबर अध्यक्ष बरलोटा संगठन को राजनीति से ऊपर रखकर काम करना चाहते हैं, लेकिन राजनीति से जुड़े संगठन के कुछ लोग चैंबर के निर्णय को राजनीति से प्रभावित करने की कोशिश करते रहे हैं। संभवत: यही वजह है कि चैंबर अध्यक्ष बरलोटा असहज हो गए और उन्होंने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि पंच कमेटी और संरक्षण मंडल ने उनके इस्तीफे पर कोई निर्णय नहीं लिया है।