scriptस्वतंत्रता दिवस: CM भूपेश ने दिया संदेश, कहा- संकटकाल में संकटमोचक बना अर्थव्यवस्था का छत्तीसगढ़ी माॅडल | Chhattisgarh CM 73th Independence day 2020 full speech updates 15 Aug | Patrika News

स्वतंत्रता दिवस: CM भूपेश ने दिया संदेश, कहा- संकटकाल में संकटमोचक बना अर्थव्यवस्था का छत्तीसगढ़ी माॅडल

locationरायपुरPublished: Aug 15, 2020 12:26:39 pm

Submitted by:

Ashish Gupta

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) समेत पूरा देश आज 73वें स्वतंत्रता दिवस (73th Independence day) का जश्न मना रहा है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chhattisgarh CM Bhupesh Baghel) ने लगातार दूसरी बार रायपुर के पुलिस परेड ग्राऊण्ड में तिरंगा फहराया।

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रायपुर. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) समेत पूरा देश आज 73वें स्वतंत्रता दिवस (73th Independence day) का जश्न मना रहा है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chhattisgarh CM Bhupesh Baghel) ने लगातार दूसरी बार रायपुर के पुलिस परेड ग्राऊण्ड में तिरंगा फहराया। उन्होंने प्रदेशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की बधाई और शुभकामनाएं दी। कोरोना संक्रमण की रोकथाम और बचाव की गाईडलाईन का पालन करते हुए स्वतंत्रता दिवस का संक्षिप्त और गरिमामय समारोह आयोजित किया गया।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने स्वतंत्रता दिवस संदेश में कहा, सुराजी तिहार के पावन बेरा म छत्तीसगढ़ के जम्मो सियान, दाई-दीदी, संगी-जहुंरिया, नोनी-बाबू मन ला गाड़ा-गाड़ा बधाई। भारत की आजादी की 73वीं सालगिरह के अवसर पर मैं अमर शहीदों गैंदसिंह, वीर नारायण सिंह, मंगल पाण्डे, भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, रानी दुर्गावती, रानी लक्ष्मी बाई, वीरांगना अवंति बाई लोधी और उन लाखों बलिदानियों को नमन करता हूं, जिन्होंने आजादी की अलख जगाई थी।
आजादी की लम्बी लड़ाई में देश को एकजुट करने और बुलंद भारत की बुनियाद रखने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पं. जवाहर लाल नेहरू, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, डॉ. भीमराव अम्बेडकर, लाल बहादुर शास्त्री, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुुल कलाम आजाद जैसे अनेक महान नेताओं के हम हमेशा ऋणी रहेंगे।
राष्ट्रीय आंदोलन की चेतना से छत्तीसगढ़ को जोड़ने और आदर्श विकास की नींव रखने वाले वीर गुण्डाधूर, पं. रविशंकर शुक्ल, ठाकुर प्यारेलाल सिंह, डॉ. खूबचंद बघेल, पं. सुंदरलाल शर्मा, बैरिस्टर छेदीलाल, यतियतन लाल, मिनीमाता, डॉ. राधाबाई, पं. वामनराव लाखे, महंत लक्ष्मीनारायण दास, अनंतराम बर्छिहा, मौलाना अब्दुल रऊफ खान, हनुमान सिंह, रोहिणी बाई परगनिहा, केकती बाई बघेल, श्रीमती बेला बाई जैसे अनेक क्रांतिवीरों और मनीषियों के योगदान के कारण हम सब शान से सिर उठाकर जी रहे हैं। मैं स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर इन सभी पुरखों को सादर नमन करता हूं।
आज का दिन शहादत की उस विरासत को भी याद करने का है, जिसमें गणेश शंकर विद्यार्थी, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी जैसे हमारे पुरखों का बलिदान भी दर्ज है, जिन्होंने देश की एकता और अखण्डता को बचाये रखने के लिए कुर्बानी दी ताकि देश, अपने मूल्यों और सिद्धांतों पर अडिग रहे, और जाति, धर्म, सम्प्रदाय की सीमाओं से ऊपर उठकर विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचे। यह साल असहयोग आंदोलन का शताब्दी वर्ष भी है, 1 अगस्त 1920 को महात्मा गांधी का यह आह्वान निर्णायक साबित हुआ था कि हम असहयोग करेंगे लेकिन किसी भी हालत में हिंसा नहीं होनी चाहिए।
महात्मा गांधी ने कहा था- मैं ऐसा भारत चाहता हूं, जिसमें गरीब से गरीब लोग भी यह महसूस करेंगे कि यह उनका देश है, जिसके निर्माण में उनकी आवाज का महत्व है, जिसमें विविध सम्प्रदायों के बीच पूरा मेल-जोल होगा।…….. मैं ऐसा भारत चाहता हूं, जिसका शेष सारी दुनिया से शांति का संबंध हो। मेरे लिए हिन्द स्वराज्य का अर्थ है सब लोगों का राज्य-न्याय का राज्य। ….. हमारा स्वराज्य निर्भर करेगा, हमारी आंतरिक शक्ति पर, बड़ी से बड़ी कठिनाइयों से जूझने की ताकत पर।
याद कीजिए आजाद भारत के पहले उद्घोष को। भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कहा था- ‘हमने नियति को मिलने का वचन दिया था और अब समय आ गया है कि हम अपने वचन को निभाएं।’ ……. अपने इस ऐतिहासिक भाषण में पंडित नेहरू ने कहा था कि ‘जब तक लोगों की आंखों में आंसू हैं और वे पीड़ित हैं, तब तक हमारा काम खत्म नहीं होगा।’
भाइयों और बहनों, अपने देश के संघर्षों और इतिहास को भुलाकर, मूल्यविहीन और अवसरवादी समझौते करना भारत की तासीर नहीं है। देश को विभेदकारी शार्टकट नीतियों और योजनाओं की चमक से बहलाया तो जा सकता है, लेकिन इससे दीर्घजीवी समाधान सम्भव नहीं होते। देश अब एक बार फिर उस दोराहे पर खड़ा है, जहां एक ओर विभेद और युद्ध-उन्माद की चमक है, तो दूसरी ओर त्याग, बलिदान, मूल्य, समन्वय और अहिंसा की सनातन परंपरा और गांधीवादी विचारधारा है। निश्चित रूप से हमने गांधीवादी रास्ता चुना है।
आज हम आजादी के बाद सबसे बड़े वैश्विक संकट के बीच खड़े हैं। कोरोना और कोविड-19 के हमले ने पूरी दुनिया में इंसानियत को ही कसौटी पर रख दिया है और उन चेहरों को बेनकाब कर दिया है, जो विकास के अपने तौर-तरीकों को मानवीय बताते थे। ऐसे समय में हमें अपने संविधान से मिली शक्ति और समाजवादी, पंथ निरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य के रूप में मिली पहचान ने ही संरक्षण और रास्ता दिया। इसी शक्ति के संरक्षण में हम राज्य सरकार के रूप में अपनी प्राथमिकता तय कर सकें कि यह समय समाज के सबसे कमजोर तबकों के आंसू पोंछने का, उसे सशक्त बनाने का ही होना चाहिए। मानवता की सेवा की गांधीवादी सोच और नेहरूवादी संस्थाओं व अधोसंरचनाओं ने ही हमें कोरोना से मुकाबला करने के योग्य बनाया।
हम में से कोई भी, वह मंजर शायद ही कभी भूल पाए कि किस तरह विभिन्न राज्यों से अपना रोजगार, जमा पूंजी, घर-गृहस्थी खोकर प्रदेश के लाखों लोग चारों दिशाओं से पैदल आ रहे थे। हजारों लोग अलग-अलग राज्यों में फंसे हुए थे। लॉकडाउन के कारण उन्हें रहवास, भोजन, बच्चों के लिए दूध, दवा जैसी बहुत जरूरी सुविधाएं भी दूभर हो रही थीं, ऐसे समय में राज्य सरकार के कंधे से कंधा मिलाकर प्रदेश की जनता तथा संस्थाओं ने अद्भुत कार्य किए। साढ़े 5 लाख से अधिक प्रवासी श्रमिकों की घर वापसी हुई। उन्हें सुरक्षित और स्वस्थ घर पहुंचाने के लिए हर गांव में अर्थात् लगभग 22 हजार क्वारंटाइन सेंटर स्थापित किए गए।
इन श्रमवीरों को न सिर्फ मनरेगा के तहत रोजगार दिलाया गया बल्कि क्वारंटाइन सेंटर में ही इनके ‘स्किल मैपिंग’ की व्यवस्था की गई ताकि इन्हें प्रदेश में सम्मानजनक रोजगार दिलाया जा सके। इस दौर में प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को भी चाक-चौबंद बनाया गया जिसके कारण संक्रमित लोगों की रिकवरी दर अन्य प्रदेशों से बेहतर रही तथा मृत्युदर भी काफी कम रही।
21 राज्यों तथा 3 केन्द्र शासित प्रदेशों में फंसे हमारे लगभग 3 लाख मजदूर साथियों को खाद्यान्न व अन्य राहत पहुंचायी गई। वहीं लॉकडाउन की अवधि में लगभग 74 हजार मजदूरों को वेतन की बकाया राशि 171 करोड़ रू. का भी भुगतान कराया गया। 107 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के माध्यम से न सिर्फ हमारे प्रदेश के मजदूर वापस लाए गए बल्कि अन्य प्रदेशों के मजदूरों को उनके राज्यों में भेजने की भी व्यवस्था की गई।
कोरोना महामारी के दौरान हमारी ‘सार्वभौम पीडीएस योजना’ भी कसौटी पर खरी उतरी। 57 लाख अंत्योदय, प्राथमिकता, निराश्रित, निःशक्तजन राशनकार्डधारियों को निःशुल्क चावल वितरण किया जा रहा है। आंगनवाड़ी तथा मध्याह्न भोजन योजना के हितग्राहियों को मिलने वाली पोषण सामग्री में कोई बाधा न आए, इसके लिए घर पहुंच सेवा दी जा रही है। इस तरह ‘मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान’ भली-भांति जारी रहा, जिससे कुपोषण में 13 प्रतिशत कमी आयी है।
भाइयों और बहनों, हम गांधी-नेहरू-पटेल-बोस-भगत सिंह-आजाद-लाल-बाल-पाल जैसे त्यागियों को अपना आदर्श मानने वाले लोग हैं, जिन्होंने आपदा को सिर्फ सेवा का अवसर माना था। विश्व इतिहास की सबसे दुखदायी और भयंकर त्रासदी के इस समय में हमारी सरकार ने सेवा के इसी सिद्धांत को अपनाया क्योंकि यही हमारी विरासत है। सेवा ही हमारा सनातन धर्म है। इसी रास्ते पर चलते हुए हमें आर्थिक मंदी और कोरोना संकट काल में अर्थव्यवस्था को बचाये रखने में सफलता मिली है।
छत्तीसगढ़ में हमने अपनी संस्कृति, अपने खेतों, गांवों, जंगलों, वनोपजों, प्राकृतिक संसाधनों, लोककलाओं, परंपराओं और इन सबके बीच समन्वय से अपना रास्ता बना लिया। हमें गर्व है कि अर्थव्यवस्था का हमारा छत्तीसगढ़ी मॉडल संकट मोचक साबित हुआ। कोरोना संकट पूरी दुनिया के लिए एक सबक बनकर भी आया है कि महाशक्तियों का दम भरने वाले देश किस तरह एक वायरस के आगे बौने साबित हुए और अपनी भावी नीतियों को लेकर चिंतन करने पर विवश हुए हैं। तथाकथित विकास की जड़ें कितनी सतही थीं, जो ऐसा एक झटका भी नहीं सह पायीं। दुनिया यह जानना चाहती है कि छत्तीसगढ़ में विगत डेढ़ वर्ष में ऐसी कौन-सी शक्ति आ गई, जिसने गिरती अर्थव्यवस्था को थाम लिया।
मैं बताना चाहता हूं कि हमने किसानों, ग्रामीण आदिवासियों वन आश्रितों और आम जनता को मजबूती दी। 25 सौ रू. क्विंटल में धान खरीदी, कर्ज माफी, सिंचाई कर माफी, 4 हजार रू. मानक बोरा तेंदूपत्ता संग्रहण मजदूरी, 31 वनोपजों की समर्थन मूल्यों पर खरीदी, खादी और ग्रामोद्योग को बढ़ावा, घरेलू बिजली बिल हाफ, सामान्य तथा औद्योगिक भूमि की गाइड लाइन में 30 प्रतिशत की कमी, आवासीय फ्लैट की पंजीयन दर में कमी, औद्योगिक भूमि के हस्तांतरण तथा लीज रेन्ट में कमी, राजस्व तथा श्रम संबंधी सुधार सहित बहुत सारे फैसले ऐसे हैं, जिससे गांवों से लेकर शहरों तक एक नया विश्वास जागा। किसानों, आदिवासियों और वन निवासियों की जेब में हमने 70 हजार करोड़ रू. की राशि डाली। निम्न तथा मध्यम आय वर्ग के लोगों को हजारों करोड़ रू. की रियायत और राहत दी गई। इससे छत्तीसगढ़ की आम जनता की क्रय शक्ति जागी जिसने उद्योग और व्यापार जगत को सहारा दिया।
हमने बड़े और महंगे निर्माण से अर्थव्यस्था के संचालन का मिथक तोड़ दिया है। स्थानीय जनता की सोच से विकास का रास्ता अपनाया है जिसके कारण निवेश और विकास हमराही बन गए हैं। विकास की हमारी सोच, नीति और क्रियान्वयन के बीच इतना गहरा नाता है कि दो वार्षिक बजट काल पूरा होने के पहले ही हम इस दौरान देश के सबसे बड़े रोजगार सृजक राज्य बन गए हैं। लगातार घटती बेरोजगारी दर से युवाओं का आत्मविश्वास बढ़ा है। शिक्षा, कौशल, खेलकूद, कला-संस्कृति और विविध क्षेत्रों में उनकी भागीदारी बढ़ाने से युवाओं की ऊर्जा तथा उत्पादकता का लाभ भी मिल रहा है।
कोरोना काल में भी छत्तीसगढ़ में 26 लाख मीट्रिक टन लौह इस्पात सामग्रियों के उत्पादन और आपूर्ति से सिर्फ छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि पूरे देश को सहारा मिला है। जनकल्याणकारी कदमों के साथ कदम मिलाते हुए राज्य में औद्योगिक विकास की संभावनाओं ने कैसे आकार लिया, यह भी बताना चाहूंगा। विगत डेढ़ वर्षों में प्रदेश में 545 नए उद्योगों की स्थापना हुई जिसमें 13 हजार करोड़ रू. का पूंजी निवेश हुआ तथा 10 हजार लोगों को रोजगार मिला।
प्रदेश के हर विकासखण्ड में फूडपार्क स्थापित करने का लक्ष्य पूरा करने हेतु हमने 28 जिलों में 101 विकासखण्डों में भूमि का चिन्हांकन कर लिया है। 19 विकासखण्डों में 250 हेक्टेयर सरकारी भूमि का हस्तांतरण किया जा चुका है। रायपुर में ‘जेम्स एण्ड ज्वेलरी पार्क’ की स्थापना हेतु 350 करोड़ रू. की परियोजना पर कार्य शुरू हो चुका है। इस प्रकार छत्तीसगढ़ परंपरागत तथा नए उद्यमों के विकास की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
प्रदेश में बिजली का उत्पादन, उपलब्धता बढ़ाने के लिए कार्य कुशलता में वृद्धि की गई है। वहीं बिजली के उपभोग से रोजगार और खुशहाली में वृद्धि का रास्ता अपनाया है। इसके लिए पारेषण-वितरण तंत्र को मजबूत करने के लिए ‘मुख्यमंत्री विद्युत अधोसंरचना विकास योजना’ प्रारंभ की जा रही है।
सड़क अधोसंरचना के गुणवत्तापूर्ण विकास हेतु सभी शासकीय भवनों और सार्वजनिक सुविधाओं को पक्की सड़कों से जोड़ने के लिए ‘मुख्यमंत्री सुगम सड़क योजना’ शुरू की गई है।
छत्तीसगढ़ सड़क विकास निगम के अंतर्गत 900 किलोमीटर सड़कों का उन्नयन तथा निर्माण किया जाएगा। राष्ट्रीय राजमार्ग से लेकर आदिवासी अंचलों तक अधूरे सड़क नेटवर्क को पूरा करने पर जोर दिया जा रहा है। ‘प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना’ के अधूरे कार्यों को पूरा करने में हमारी तत्परता और सफलता से हमें तृतीय चरण के लिए 5 हजार 600 किलोमीटर से अधिक सड़कों और वृहद पुलों के निर्माण की स्वीकृति मिली है। इस मामले में छत्तीसगढ,़ देश में प्रथम स्थान पर है। आगामी तीन वर्षों में यह लक्ष्य भी पूरा कर लेंगे।
प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के साथ मैंने इसे अपनी अस्मिता और स्थानीय अवसरों से जोड़ने के लिए 3 प्रमुख कदम उठाने की घोषणा गणतंत्र दिवस के अवसर पर की थी। मुझे खुशी है कि प्रार्थना-सभाओं में संविधान पर चर्चा, स्थानीय बोली-भाषाओं में किताबें तथा छत्तीसगढ़ की महान विभूतियों की जीवनी पर पुस्तकों का प्रकाशन किया जा चुका है, शिक्षा सत्र जैसे ही नियमित रूप से प्रारंभ होगा, ये सारे कार्य किए जाएंगे।
लॉकडाउन के कारण प्रभावित शिक्षा को निरंतर जारी रखने के लिए हमने ऑनलाइन शिक्षा की योजना ‘पढ़ई तुंहर दुआर’ शुरू की थी जिसका लाभ 22 लाख बच्चों को मिल रहा है तथा 2 लाख शिक्षक-शिक्षिकाएं इस व्यवस्था से जुड़े हैं। इस पहल को आगे बढ़ाते हुए अब हम गांवों में समुदाय की सहायता से बच्चों को पढ़ाने के लिए ‘पढ़ई तुंहर पारा’ योजना शुरू कर रहे हैं। इंटरनेट के अभाव वाले अंचलों के लिए ‘ब्ल्यू टूथ’ आधारित व्यवस्था ‘बूल्टू के बोल’ का उपयोग किया जाएगा।
स्वास्थ्य अधोसंरचना के विकास के लिए एक ओर जहां 37 स्वास्थ्य केन्द्रों के भवनों का निर्माण किया जा रहा है वहीं कोरोना के उपचार हेतु 30 अस्पताल, 3 हजार 383 बिस्तर, 517 आईसीयू बिस्तर, 479 वेन्टिलेटर उपलब्ध कराए गए हैं। जिलों में 155 आइसोलेशन सेंटर विकसित किए गए, जहां लगभग 10 हजार बिस्तरों की सुविधा उपलब्ध है। टेस्टिंग सुविधा जो अभी 6 हजार 500 प्रतिदिन पहुंची है, उसे 10 हजार प्रतिदिन करने का लक्ष्य है। वर्तमान में 1 हजार 900 हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं दे रहे हैं, जिसे आगामी वर्ष तक 3 हजार 100 किए जाने का लक्ष्य है।
हमने 26 जनवरी 2020 को ‘डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना’ शुरू की थी, जिसके तहत मात्र सात महीनों में 256 करोड़ रू. व्यय कर 2 लाख से अधिक मरीजों का उपचार किया गया। इसी प्रकार विशेष जरूरतों के लिए 20 लाख रू. तक मदद करने वाली देश की अव्वल ‘मुख्यमंत्री स्वास्थ्य सहायता योजना’ में सात माह में 4 करोड़ रू. व्यय कर 270 मरीजों का उपचार किया गया।
स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और बढ़ाने के लिए शहरी क्षेत्रों में ‘मुख्यमंत्री स्लम स्वास्थ्य योजना’ शुरू की जाएगी, जिसके तहत प्रथम चरण में सभी 14 नगर निगमों में 70 मोबाइल मेडिकल यूनिट के माध्यम से चिकित्सक हर जरूरतमंद की चौखट पर पहुंचेंगे। ‘डॉ. राधाबाई डायग्नोस्टिक सेंटर योजना’ भी शुरू की जाएगी, जो रियायती दरों पर पैथोलॉजी तथा अन्य जांच सुविधाएं उपलब्ध कराएगी।
नगर निगमों में स्थापित 101 ‘मुख्यमंत्री वार्ड कार्यालयों’ से नागरिकों को मिली सुविधाएं उत्साहवर्धक हैं। अब हम घर पहुंच सेवाओं के लिए नगरीय क्षेत्रों में ‘मुख्यमंत्री मितान योजना’ शुरू करेंगे, जिसमें कॉल सेंटर में फोन करके आवेदन, दस्तावेज आदि भेजे जा सकते हैं। ‘ऑनलाइन’ तथा ‘एसएमएस एलर्ट’ के माध्यम से न्यूनतम खर्च पर घर बैठे कई तरह की सेवाएं दी जाएंगी। संस्कृति और परंपरागत रोजगार की संवाहक, हमारी ‘पौनी पसारी योजना’ के तहत 122 स्थानों पर बाजारों का निर्माण किया जा रहा है।
मैं अपील करना चाहता हूं कि भूमिहीन परिवारों को शासकीय भूमि का पट्टा देने की योजना का लाभ, पात्र परिवार अधिक से अधिक संख्या में उठायें। पट्टों को फ्री होल्ड कर मालिकाना हक प्रदान करने का कार्य भी शुरू किया गया है। आवास योजना का लाभ भी हितग्राहियों को दिलाएंगे। इसके साथ ही पट्टे के मूल क्षेत्रफल से 50 प्रतिशत से अधिक में काबिज भूमि के नियमितीकरण का कार्य भी शुरू किया गया है। मुझे विश्वास है कि भूमिहीन परिवारों को धरती के अपने हिस्से पर हक दिलाने का यह काम एक ऐतिहासिक कीर्तिमान रचेगा।
भाइयों एवं बहनों, आपको यह जानकर खुशी होगी कि हमने किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध कराने का वादा निभाते हुए भी एक कीर्तिमान बना लिया है। वर्ष 2019-20 में लगभग 13 लाख हेक्टेयर में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध करायी गई। इस कार्य में और गति लाने के लिए एक ओर हमने ‘छत्तीसगढ़ सिंचाई विकास निगम,’ इंद्रावती बेसिन विकास प्राधिकरण का गठन किया है, वहीं दूसरी ओर ‘बोधघाट बहुउद्देशीय परियोजना’ को भी प्रारंभ करने का निर्णय लिया है। मेरा वादा है कि मुआवजा और पुनर्वास पैकेज का निर्धारण बस्तर के लोगों से पूछकर किया जाएगा। हम एक ऐसी सर्वश्रेष्ठ परियोजना बनायेंगे, जो बस्तरवासियों के सपनों को सच करे। इस तरह हम पांच वर्षों में विभिन्न योजनाओं के माध्यम से वर्तमान सिंचाई क्षमता को दोगुना करेंगे।
किसान भाइयों और बहनों, हमें इस बात पर गर्व है कि हमारी सरकार किसान हितकारी सरकार कहलाती है। ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ के तहत हमने आपको मिलने वाले 5 हजार 700 करोड़ रू. की पहली किस्त 1 हजार 500 करोड़ रू. दी थी। इसकी दूसरी किस्त राजीव जी की जयंती पर 20 अगस्त को दी जाएगी।
हमारी ‘सुराजी गांव योजना’ तेजी से आकार ले रही है। नरवा, गरवा, घुरवा, बारी का तेजी से विकास हो रहा है। हमने वादा किया था कि गौठान को ग्रामीण अर्थव्यवस्था और लोक संस्कृति का आंगन बनायेंगे। इस क्रम में ‘गोधन न्याय योजना’ की शुरूआत भी हो चुकी है। अब गोबर को धन में बदलने का कार्य आपको करना है। व्यवस्था हमारी रहेगी और समृद्धि आपकी होगी।
संग्रहण से भुगतान तक, वर्मी कम्पोस्ट बनाने से बेचने तक, गोबर के अन्य कलात्मक उपयोग से लेकर विपणन तक आपके सारे काम सुचारू ढंग से होंगे। ब्याज मुक्त कृषि ऋण के लिए हमने इस साल इतिहास का सबसे बड़ा 5 हजार 200 करोड़ रू. का लक्ष्य रखा है, जिसकी 72 प्रतिशत राशि का वितरण मात्र पांच माह में किया जा चुका है। आपके इस उत्साह के लिए साधुवाद। कृषि में इस निवेश का लाभ आपको आगामी फसल में मिलेगा।
खेती-किसानी में नए ज्ञान की फसल उपजाने के लिए हम ‘महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय,’ 4 नए उद्यानिकी कॉलेज तथा 1 खाद्य तकनीकी एवं प्रसंस्करण कॉलेज भी खोलने जा रहे हैं। दुग्ध उत्पादन और मछली पालन को नए ज्ञान का सहारा देने के लिए 3 विशिष्ट पॉलीटेक्निक कॉलेज भी खोले जायेंगे।
न्याय योजनाओं की पहल के बाद अब इस सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए ‘भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना’ की घोषणा हमने की है, जिसे जल्दी ही साकार किया जाएगा। प्रदेश के विकास और खुशहाली में मजदूरों की भागीदारी तय करना भी हमारे पुरखों का सपना था और हमारा कर्त्तव्य है। ‘महात्मा गांधी नरेगा योजना’ ने संकट के इस दौर में अपनी सार्थकता सिद्ध की है।
योजना के प्रारंभ से लेकर अभी तक सर्वाधिक प्रतिदिन 25 लाख श्रमिकों को रोजगार देने का कीर्तिमान भी हमने बनाया है। 100 दिवस रोजगार देने के मामले में भी हम देश में दूसरे स्थान पर रहे हैं। हमने मनरेगा को वन अधिकार पट्टे, पंचायतों में निर्माण कार्य, खाद्यान्न संरक्षण, जल संवर्धन, गौठान निर्माण जैसे अनेक महत्वपूर्ण कार्यों से जोड़कर इसकी उपयोगिता का दायरा बढ़ाया है।
वन अंचलों में रहने वाले हमारे आदिवासी भाई-बहनों, मुझे यह कहते हुए खुशी है कि आपके क्षेत्रों में अब आपके मन मुताबिक विकास की बयार बहने लगी है। तेंदूपत्ता संग्राहकों की बीमा योजना बंद करके अगर कोई यह सोचता है कि वह आपकी प्रगति के रास्ते बंद कर देगा, तो यह मुगालता भी हमने समाप्त कर दिया है। हमने ‘शहीद महेन्द्र कर्मा तेंदूपत्ता संग्राहक सामाजिक सुरक्षा योजना’ शुरू कर दी है, जिसमें न तो प्रीमियम भरना पड़ेगा और न ही दावों के भुगतान के लिए कई महीनों का दुखदायी इंतजार सहना पड़ेगा।
इसके साथ ही हमने 7 के स्थान पर 31 वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी शुरू कर दी है, जो लाखों परिवारों के जीवन का आधार बनेगा। हमारे नए प्रयासों का परिणाम भी मिलने लगा है। अल्पसमय में ही, हम देश में सर्वाधिक वनोपज संग्रह करने वाले राज्य बन गए हैं। यह सिलसिला तेजी से आगे बढ़ाएंगे जिसके जरिए हम साल में 2 हजार 500 करोड़ रू. की आय आपकी जेब में डालने का लक्ष्य पूरा करना चाहते हैं।
‘‘अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम-2006’’ हमारी विरासत का जगमगाता उदाहरण है। आप सबको विदित है कि इसका उचित क्रियान्वयन क्यों नहीं हो पाया ? किस वजह से निरस्त दावों का पहाड़ बना दिया गया था और सामुदायिक पट्टों के वितरण में क्यों अरुचि थी? हमने निर्णय लिया था कि निरस्त दावों की समीक्षा करेंगे और सामुदायिक पट्टे प्राथमिकता से देंगे। इस तरह अब नए सिरे से उच्च प्राथमिकता से वन अधिकार पट्टे दिए जा रहे हैं, जिससे आजीविका, स्वावलंबन और अधिकार का नया युग शुरू हुआ है। हमारी उपलब्धियां देश में सर्वोच्च हैं।
आदिवासी अंचलों में वनोपज का कारोबार निश्चित तौर पर आपको सिर उठाकर जीने का अवसर देता है, लेकिन इसके साथ ही प्रसंस्करण की सुविधा जोड़ देने से अब बस्तर का काजू, बस्तर की इमली, बस्तर का मक्का, बस्तर की हल्दी जैसी ब्रांडिंग होने लगी है जो नई पीढ़ी के लिए रोजगार और आपका मुनाफा बढ़ाएगी। आपकी संस्कृति के साथ आपकी आर्थिक समृद्धि भी बढ़ाएगी। हम आदिवासी अंचलों में शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल, दक्षता, जरूरी अधोसंरचना के नए-नए द्वार खोल रहे हैं। ‘मलेरिया मुक्त बस्तर’ अभियान की सफलता उत्साहवर्धक है। वहीं आकांक्षी जिला ‘बीजापुर’ ने देश में अव्वल होने का परचम लहराया है।
भगवान राम दुनिया में अरबों-खरबों लोगों के मन-मंदिर में विराजते हैं। हम कण-कण और रग-रग में उनकी उपस्थिति महसूस करते हैं। उनका छत्तीसगढ़ से गहरा नाता है। माता कौशल्या का मायका यानी रामजी का ननिहाल छत्तीसगढ़ है। इस नाते भगवान राम हमारी लोक आस्था में ‘भांचा राम’ के रूप में बसे हैं। इसके अलावा वनवास के दौरान रामजी का काफी समय छत्तीसगढ़ में ही बीता। लव-कुश के जन्म और महर्षि वाल्मीकि की छत्र-छाया में उनकी शिक्षा-दीक्षा जैसे अनेक प्रसंगों के साक्ष्य लोक आस्था को आनंदित व गौरवान्वित करते हैं।
माता कौशल्या, भगवान राम और उनसे जुड़े विभिन्न प्रसंगों की स्मृतियों को चिरस्थायी बनाने के लिए हमने ‘कोरिया से सुकमा’ तक ‘राम वन गमन पर्यटन परिपथ’ विकास की योजना बनाई है और उसे शीघ्रता से क्रियान्वित भी कर रहे हैं। चंदखुरी में माता कौशल्या मंदिर परिसर को भव्य स्वरूप देने का कार्य शुरू किया गया है।
इस पावन कार्य में प्रदेश की जनता को सहभागिता का अवसर देने के लिए ‘राम वन गमन पर्यटन परिपथ विकास कोष’ का गठन किया जाएगा। प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों में एल.ई.डी. वाहनों के माध्यम से परिपथ का प्रचार-प्रसार किया जाएगा। हम विश्व प्रसिद्ध बौद्ध आस्था केन्द्र, सिरपुर को विश्व मानचित्र में प्रतिष्ठित कराने के प्रयासों के साथ ही, यहां समुचित अधोसंरचनाओं का विकास कर रहे हैं।
हरेली, तीजा, भक्त माता कर्मा जयंती, विश्व आदिवासी दिवस जैसे दिवसों पर अवकाश घोषित करके हमने जिस सांस्कृतिक उत्थान का आरंभ किया था, उसे अब शिखर पर पहुंचाने के लिए ‘छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद’ का गठन किया गया है। नवा रायपुर में फिल्म सिटी का विकास किया जाएगा। रायपुर में स्वामी विवेकानंद स्मारक की स्थापना की कार्यवाही आरंभ कर दी गई है।
पारंपरिक छत्तीसगढ़ी खानपान एवं व्यंजनों को बढ़ावा देने हेतु प्रत्येक जिले में ‘गढ़ कलेवा’ केन्द्र खोला जाएगा। विडम्बना है कि राज्य गठन के बीसवें वर्ष तक भी छत्तीसगढ़ी भाषा को उसका वाजिब हक नहीं मिला है, इसलिए मैंने प्रधानमंत्री जी को पत्र लिखकर छत्तीसगढ़ी को आठवीं अनुसूची में स्थान दिलाने का आग्रह किया है।
हमने गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले के गठन से इस अंचल के वर्षों पुराने सपने को पूरा किया है। मरवाही अनुभाग, मरवाही नगर पंचायत के साथ करोड़ों रू. के विकास कार्यों की सौगात दी गई है। आज मैं घोषणा करता हूं कि मरवाही में महंत बिसाहू दास जी के नाम से उद्यानिकी महाविद्यालय भी खोला जाएगा। मेरा वादा है कि यह नया जिला जनहितकारी योजनाओं और सर्वांगीण विकास के नए-नए शिखरों को छूएगा। प्रशासन में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने तथा उनके हितों की रक्षा के लिए मैं घोषणा करता हूं कि राज्य में होने वाली नई नियुक्तियों तथा पदोन्नतियों के लिए गठित की जाने वाली समितियों में महिला प्रतिनिधियों की उपस्थिति अनिवार्य होगी।
मुझे यह कहते हुए खुशी है कि हमने सुरक्षा बलों का मनोबल और सुविधाएं बढ़ाकर प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति में काफी सुधार लाया है। पुलिस अधिकारियों- कर्मचारियों को मोबाइल कनेक्टिविटी से जोड़ा गया है। उनके अवकाश, अनुकंपा नियुक्ति, स्वास्थ्य सुविधाओं तथा रिस्पांस भत्ते के रूप में बड़ी राहत दी गई है। राज्य आपदा मोचन बल के जवानों को 50 प्रतिशत जोखिम भत्ता दिया गया है। वहीं महिला डेस्क, महिला हेल्पलाइन, सीनियर सिटिजन हेल्पलाइन, अंजोर रथ, पुलिस जनमित्र, ग्राम रक्षा समिति, स्पंदन आदि कार्यक्रमों से सामुदायिक पुलिसिंग को सुदृढ़ किया गया है।
मैंने कहा था कि नक्सल मोर्चे पर हमारा पहला प्रयास प्रभावित पक्षों के बीच परस्पर विश्वास और सद्भाव बहाली का होगा। प्रभावित अंचलों में स्थानीय आकांक्षाओं को पूरा करने वाले विकास कार्य संचालित किए जायेंगे। आज मैं यह कह सकता हूं कि नक्सलवादी वारदातों में अंकुश तथा आदिवासी अंचलों में विकास के नए रंग हमारी रणनीति की सफलता का प्रतीक हैं। हमने आजादी की लड़ाई से न्याय की जो यात्रा शुरू की थी, उसे अब जन-जन तक पहुंचा रहे हैं। यही ‘नवा छत्तीसगढ़’ गढ़ने के हमारे सपनों और इरादों का आधार है। आप सबके प्यार, सहयोग, समर्थन और सीधी भागीदारी से ही यह संभव होगा।
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