जीरम की जांच के लिए एसआइटी
राज्य सरकार ने 2013 में जीरम घाटी माओवादी हमले की जांच के लिए विशेष जांच टीम गठित करने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री ने कहा, झीरम घाटी का हमला दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिक जनसंहार था। उसकी जांच का वादा कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में भी किया था। पूर्ववर्ती सरकार ने सीबीआइ जांच की घोषणा की थी, लेकिन यह जांच कभी हुई ही नहीं। कांग्रेस आरोप लगाती रही है कि इस मामले में राजनीतिक षडय़ंत्र के नजरिए से कभी जांच ही नहीं हुई है।
बदले की कार्रवाई नहीं
एक सवाल पर भूपेश बघेल ने साफ कर दिया कि सरकार बदले की भावना से काम नहीं करेगी। उन्होंने कहा, जिसने गलत किया है, उसे सजा देने का काम कानून करेगा। भ्रष्ट अफसरों को चेताते हुए उन्होंने कहा, ऐसे लोग अब सचेत हो जाएं। अब ऐसा नहीं चलेगा। हम नहीं चलने देंगे। ऐसे अफसरों की भलाई इसी में है कि वे जनता के लिए उनको दिया हुआ काम करें।
शराबबंदी पर असमंजस
पूर्ण शराबबंदी पर सरकार अभी असमंजस में है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, शराबबंदी का निर्णय एक झटके से नहीं लिया जा सकता। प्रदेश में कई जगह पांचवी अनुसूची लागू है वहां ग्रामसभाओं से पूछे बिना राज्य सरकार का आदेश लागू नहीं होगा। उन्होंने कहा, कांग्रेस शराबबंदी की पूर्ण पक्षधर है।, लेकिन समाज में प्रभाव और दूसरे राज्यों का अध्ययन करने के बाद ही पूर्ण शराबबंदी लागू की जा सकेगी।
भूपेश-ताम्रध्वज चाहते थे छत्तीसगढ़ी में शपथ, राजभवन ने रोका
कांग्रेस की दूसरी सरकार के शपथ ग्रहण के साथ राजभाषा छत्तीसगढ़ी को लेकर एक विवाद खड़ा हो गया है। इनडोर स्टेडियम में पहुंचे हजारो लोग उम्मीद कर रहे थे कि मंच पर ठेठ छत्तीसगढ़ी में संवाद करने वाले नेता भूपेश बघेल और ताम्रध्वज साहू पद और गोपनीयता की शपथ छत्तीसगढ़ी में ही लेंगे। लेकिन मुख्यमंत्री सहित दोनों मंत्रियों ने हिंदी में शपथ ली। यह देखकर स्टेडियम में मौजूद हजारो समर्थक आश्चर्यचकित रह गए। कई लोगों ने कह भी दिया कि कम से कम दाउ को ऐसा नहीं करना चाहिए था। बाद में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, उन्होंने और ताम्रध्वज साहू ने छत्तीसगढ़ी में ही शपथ लेने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन राजभवन के अधिकारियों ने उसे खारिज कर दिया। मुख्यमंत्री के मुताबिक राजभवन का कहना था, छत्तीसगढ़ी संविधान की आठवी अनुसूची में शामिल भाषा नहीं है। ऐसे में मुख्यमंत्री और मंत्रियों का शपथ उसमें नहीं कराया जा सकता।
भाषाशास्त्रियों ने याद दिलाए जोरामथांगा
राजभवन के अफसरों के तर्क पर भाषाशास्त्रियों ने सवाल उठाए हैं। संस्कृति और भाषा विशेषज्ञ अशोक तिवारी ने कहा, अभी दो दिन पहले ही मिजोरम के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री जोरामथांगा ने मिजो भाषा में शपथ ली है। मिजो भी छत्तीसगढ़ी की तरह संविधान की आठवी अनुसूचि में शामिल नहीं है, वह मिजोरम की राजभाषा जरूर है। अगर वहां का मुख्यमंत्री अपनी राजभाषा में शपथ ले सकता है तो छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री क्यों नहीं। हालांकि शपथ ग्रहण समारोह में इस बात की खासी चर्चा रही कि छत्तीसगढ़ी में शपथ ग्रहण से क्यों रोका गया।
कांग्रेस ने कहा, तकनीकी पहलुओं को खंगालेंगे
इधर, कांग्रेस भी इस मसले को लेकर संवेदनशील है। पार्टी प्रवक्ता घनश्याम राजू तिवारी ने कहा, सांसद ताम्रध्वज साहू ने संसद में छत्तीसगढ़ी को आठवी अनुसूची में शामिल करने की मांग उठाई है। हमारे नेता शपथ भी छत्तीसगढ़ी में लेना चाहते थे, लेकिन तकनीकी कारणों से ऐसा नहीं हो पाया। कांग्रेस इसके सभी पहलुओ को खंगालेगी। इसके बाद आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। हमारा प्रयास होगा कि बोलचाल के अलावा ज्यादातर काम भी छत्तीसगढ़ी में हो। यह तय है कि छत्तीसगढ़ी का मान कम नहीं होने दिया जाएगा।
कर्जमाफी
– 6100 करोड़ रुपए का कर्ज माफ किया।– 16 लाख 65 हजार किसानों को होगा फायदा।
– 30 नवम्बर 2018 तक सहकारी और ग्रामीण बैंकों से लिया गया कर्ज माफ।
धान का समर्थन मूल्य
– 2500 रुपया प्रति क्विंटल में धान खरीदेगी सरकार।
– 1750 रुपया केंद्र सरकार ने तय किया है न्यूनतम समर्थन मूल्य।
– 750 रुपया प्रति क्विंटल अपने पास से मिलाएगी राज्य सरकार।
जीरम की जांच
25 मई 2013 को सुकमा के जीरम घाटी में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर माओवादियों ने हमला किया था।
31 लोगों की मौत हुई थी उस हमले में, प्रदेश कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व हुआ था शिकार।
सरकार ने न्यायमूर्ति प्रशांत मिश्र की अध्यक्षता में एक न्यायिक आयोग को जांच की जिम्मेदारी सौंपी। एनआइए ने भी जांच की, लेकिन सच सामने नहीं आया। कांग्रेस जीरम कांड में राजनीतिक षडय़ंत्र का अंदेशा जताती रही है। एसआइटी उसी की जांच करेगी।