बताया जा रहा है कि स्कूलों में बिरहोर, बैगा, पहाड़ी कोरबा, कमार, अबूझमाडिय़ा, पंडो और भुंजिया की कम संख्या को देखते हुए इसकी मांग लंबे समय से रही है। पिछले दिनों विशेष आरक्षित जनजातियों के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर यह मांग रखी थी।
उनका कहना था, बीएड-डीएड की अनिवार्यता की वजह से समाज के युवा शिक्षक बनने से वंचित रह जा रहे हैं। स्कूल शिक्षा विभाग ने इनको प्राथमिक स्कूलों में भर्ती के लिए बीएड-डीएड और शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की अनिवार्यता से छूट देने का प्रस्ताव किया है। आदिम जाति विकास विभाग के मुताबिक प्रदेश मेंं इन सात जनजातियों की जनसंख्या दो लाख 25 हजार के आसपास है। ये जनजातियां मुख्य रूप से रायगढ़, जशपुर, बलरामपुर, सरगुजा, कोरिया, बिलासपुर, कोरबा, मुंगेली, महासमुंद, गरियाबंद, राजनांदगांव, कवर्धा, कांकेर और नारायणपुर जिलों में रहती हैं।
एससी आरक्षण का भी प्रस्ताव
बताया जा रहा है, मंत्रिपरिषद की बैठक में अनुसूचित जातियों का आरक्षण उनकी जनसंख्या के अनुपात में करने का प्रस्ताव भी आएगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ऐसा करने की घोषणा रविवार को ही कर चुके हैं। मंत्रिपरिषद में खरीफ के मौजूदा हालात, कई जिलों में बाढ़ और सूखे की स्थितियों पर भी चर्चा प्रस्तावित है।