स्वीपर की आत्महत्या मामले में कांग्रेस ने प्रशासन को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि खुलेआम स्वीपर को धमकियां दी जा रही थीं कि तुमसे जो बनता है वो कर लो, नगर पंचायत छोड़कर बाहर चले जाओ वरना जान से भी हाथ धोना पड़ेगा। पीडि़त स्वीपर की लगातार शिकायत के बाद भी प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। प्रशासन की ओर से उसे कोई मदद नहीं मिली तो अंत में निराश स्वीपर ने आत्महत्या कर ली।
कांग्रेस ने प्रदेश की जनता सरकार और प्रशासन के गैर जिम्मेदाराना हरकतों से परेशान हैं। गरीब अपनी समस्या लेकर कलेक्टर जनदर्शन में जाता है तो वहां उसके साथ न्याय नहीं किया जाता है। स्वीपर मौत मामले में कांग्रेस ने कहा कि मृतक की पत्नी ने कलेक्टर से लिखित आवदेन देकर बताया कि बच्चूलाल पर बिना हाजरी काम करने का दबाव बनाया गया था। इसके बावजूद जिला प्रशासन की ओर से दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं गई। कांग्रेस ने कहा – स्वीपर मौत मामले में पार्टी प्रदेश सरकार से जांच कर जल्द से जल्द दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करती है।
क्या है पूरा मामला
छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले के पांडातराई नगर पंचायत में पिछले तीन माह से काम कर रहे अस्थाई सफाई कर्मचारी बच्चू लाल पिता राजबहादुर स्वीपर को नगर पंचायत अध्यक्ष द्वारा एक नवंबर को नौकरी से निकाल दिया गया। ऐसे में बच्चू के सामने परिवार पालने की चिंता सताने लगी। इससे परेशान होकर वह पूरे परिवार के साथ वह मुख्यमंत्री निवास में जनदर्शन में पहुंचा। यहां पर करीब दोपहर 2 बजे बच्चों व पत्नी को बाहर बिठा दिया और स्वयं अंदर चला गया। वहां जाकर अपने ऊपर केरोसिन डाला और खुद को आग के हवाले कर दिया। आसपास मौजूद गार्ड व अन्य लोगों देखा तो तुरंत रोका गया। तब तक बच्चू अधिक झुलस चुका था। उसके कपड़े पूरी तहर जल चुके थे। बच्चू को तुरंत जिला अस्पताल में प्राथमिक उपचार कर रायपुर रिफर किया गया, जहां उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई।