स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक २५ हजार एक्टिव मरीजों में अस्पतालों में १३ प्रतिशत मरीजों को छोड़ दिया जाए तो बाकी ८७ प्रतिशत मरीज हल्के लक्षण वाले या फिर बिना लक्षण वाले हैं। जो कोविड केयर सेंटर में या फिर इन्होंने होम आइसोलेशन का विकल्प चुना है। विशेषज्ञों की मानें तो जो वायरस लोड अप्रैल, मई और जून में था, लगभग वही है। अगस्त-सितंबर में मिलने वाले मरीजों में वायरस लोड अधिक पाया जा रहा था। यही कारण था कि मरीजों को ठीक होने में १०-१५ दिन तक लग जा रहे थे।
———————————————- ६ जिले जहां १००० से एक्टिव मरीज- रायपुर- ७,७६३
जांजगीर चांपा- २,१३० रायगढ़- १,९२०
कोरबा- १,८५७ दुर्ग- १,८४०
राजनांदगांव- १,०५१ अभी गंभीर मरीज ज्यादा मिल रहे-
एम्स, डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल और प्रदेश के दूसरे मेडिकल कॉलेजों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक अभी मरीज भले ही कम संक्रमित हो रहे हैं। भले ही रिकवरी रेट अधिक हो, मगर गंभीर मरीजों की संख्या काफी बढ़ी है। खासकर वे जो अन्य बीमारियों जैसे- कैंसर, बीपी-शुगर, हार्ट, लिवर, किडनी या फिर फेफड़ों के संक्रमण से ग्रसित हैं। लक्षण होने के बाद भी जांच करवाने कोविड केयर सेंटर नहीं जा रहे। जा रहे हैं तो जब तकलीफ काफी बढ़ जा रही है। तब तक देर हो जा रही है। और यही लापरवाही मौत के आंकड़ों को १,६५० के पार ले गई है।
जांजगीर चांपा- २,१३० रायगढ़- १,९२०
कोरबा- १,८५७ दुर्ग- १,८४०
राजनांदगांव- १,०५१ अभी गंभीर मरीज ज्यादा मिल रहे-
एम्स, डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल और प्रदेश के दूसरे मेडिकल कॉलेजों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक अभी मरीज भले ही कम संक्रमित हो रहे हैं। भले ही रिकवरी रेट अधिक हो, मगर गंभीर मरीजों की संख्या काफी बढ़ी है। खासकर वे जो अन्य बीमारियों जैसे- कैंसर, बीपी-शुगर, हार्ट, लिवर, किडनी या फिर फेफड़ों के संक्रमण से ग्रसित हैं। लक्षण होने के बाद भी जांच करवाने कोविड केयर सेंटर नहीं जा रहे। जा रहे हैं तो जब तकलीफ काफी बढ़ जा रही है। तब तक देर हो जा रही है। और यही लापरवाही मौत के आंकड़ों को १,६५० के पार ले गई है।
४९.८ प्रतिशत मरीज होम आइसोलेशन में ठीक
जुलाई के आखिरी हफ्ते में होम आइसोलेशन के नियम लागू होते ही, मरीजों ने इस विकल्प को हाथों-हाथ लिया। ढाई महीने में ६९,७८९ मरीज कोरोना को मात दे चुके हैं। जो ठीक हुए कुल मरीजों का ४९.८ प्रतिशत है। जबकि अस्पताल और कोविड केयर सेंटर में रहते हुए ७०,४२७ मरीज ठीक हुए।
जुलाई के आखिरी हफ्ते में होम आइसोलेशन के नियम लागू होते ही, मरीजों ने इस विकल्प को हाथों-हाथ लिया। ढाई महीने में ६९,७८९ मरीज कोरोना को मात दे चुके हैं। जो ठीक हुए कुल मरीजों का ४९.८ प्रतिशत है। जबकि अस्पताल और कोविड केयर सेंटर में रहते हुए ७०,४२७ मरीज ठीक हुए।
होटल में मरीजों को भर्ती करने की जरुरत नहीं
अगस्त-सितंबर में मरीजों की बढ़ती संख्या के बीच सरकार ने निजी अस्पतालों को कोरोना मरीजों के इलाज की अनुमति जारी की थी। अस्पतालों ने होटलों में अस्थाई हॉस्पिटल या कोविड केयर सेंटर बनाए थे। सबसे ज्यादा राजधानी रायपुर में ही थे, क्योंकि यहां एक्टिव मरीजों की संख्या १३ हजार के ऊपर जा पहुंची थी। मगर, अब ये खाली हैं। इनमें बेबीलोन कैपिटल, वेंकटेश, होटल पोर्टिको, अमित रिजेंसी, होटल आईस्टे, ऑल नियर, क्लार्क इन। अब ये सभी खाली हैं।
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अगस्त-सितंबर में मरीजों की बढ़ती संख्या के बीच सरकार ने निजी अस्पतालों को कोरोना मरीजों के इलाज की अनुमति जारी की थी। अस्पतालों ने होटलों में अस्थाई हॉस्पिटल या कोविड केयर सेंटर बनाए थे। सबसे ज्यादा राजधानी रायपुर में ही थे, क्योंकि यहां एक्टिव मरीजों की संख्या १३ हजार के ऊपर जा पहुंची थी। मगर, अब ये खाली हैं। इनमें बेबीलोन कैपिटल, वेंकटेश, होटल पोर्टिको, अमित रिजेंसी, होटल आईस्टे, ऑल नियर, क्लार्क इन। अब ये सभी खाली हैं।
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एक्सपर्ट व्यू-
जितने मरीज अस्पतालों में है, स्पष्ट है कि उन्हें ऑब्जर्वेशन (निगरानी) की जरुरत है। निश्चित तौर पर स्थिति नियंत्रण है, मगर सतर्कता जरूरी है।
डॉ. सुभाष पांडेय, प्रवक्ता एवं संभागीय संयुक्त संचालक, स्वास्थ्य विभाग
जितने मरीज अस्पतालों में है, स्पष्ट है कि उन्हें ऑब्जर्वेशन (निगरानी) की जरुरत है। निश्चित तौर पर स्थिति नियंत्रण है, मगर सतर्कता जरूरी है।
डॉ. सुभाष पांडेय, प्रवक्ता एवं संभागीय संयुक्त संचालक, स्वास्थ्य विभाग
आंबेडकर अस्पताल समेत सभी कोविड१९ अस्पतालों में गंभीर मरीज ही भर्ती हैं। ४५ मरीज आईसीयू में हैं। उनमें बुजुर्ग, अन्य बीमारी से पीडि़त लोग हैं। मगर, हमने यह मान लिया कि वायरस खत्म हो गया है, तो यह हमारी बड़ी भूल होगी।
डॉ. आरके पंडा, विभागाध्यक्ष टीबी एंड चेस्ट, डॉ. आंबेडकर अस्पताल एवं सदस्य कोरोना कोर कमेटी
डॉ. आरके पंडा, विभागाध्यक्ष टीबी एंड चेस्ट, डॉ. आंबेडकर अस्पताल एवं सदस्य कोरोना कोर कमेटी