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ऐसे कैसे जन प्रतिनिधि

locationरायपुरPublished: Sep 27, 2019 07:49:24 pm

अजब नजारा है। शहर बारूद के ढेर पर है और जन प्रतिनिधि मौन धारण किए तो प्रशासन हाथ बांधे बैठा है।

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शिव शर्मा. अजब नजारा है। शहर बारूद के ढेर पर है और जन प्रतिनिधि मौन धारण किए तो प्रशासन हाथ बांधे बैठा है। हम लगातार बता रहे हैं कि पटाखा कारोबारी किस कदर नियम-कायदों की फुलझड़ी बनाकर सिर्फ तिजोरी भरने की चिंता मेें जुटे हैं। घनी बसाहट वाले इलाकों में स्थित दुकानों और गोदामों में किस तरह से हजारों टन पटाखों का स्टॉक जमा हो गया है। कैसे एक ही परिवार के कई सदस्यों के नाम लाइसेंस लेकर बारूद भंडारण को कागजों में वैध कर लिया गया है, लेकिन कार्रवाई कुछ नहीं।
दो साल पहले पटाखा दुकान और गोदाम को शहर से बाहर शिफ्ट करने का शपथपत्र दे चुके व्यापारी बीच शहर दुकान सजाकर बैठे हैं। उनका झूठा तर्क जनता की सुविधा का है, जबकि जनता साफ कर चुकी है कि उसे शहर से बाहर जाकर पटाखे खरीदने में कोई परेशानी नहीं है। नहीं तो जहां दुकानें लगेंगी, वहां से खरीदना मजबूरी है। इसी मजबूर जनता को मौका मिला तो उसने खुलकर कहा, पटाखे शहर में नहीं बिकना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के अनुसार प्रशासन सख्ती से कार्रवाई करे। जनता तो प्रशासन के हाथ बांधने वाले शक्तिशाली मंत्री तक को चुनाव में सबक सिखाने को तैयार है। निराश तो वे जन प्रतिनिधि कर रहे हैं जो जनभावनाओं की अनदेखी कर रहे हैं। वे नेता जो मुद्दा उठाने से पहले अपना नफा-नुकसान देखते हैं। जनता की सुरक्षा से जुड़े विषय पर भी समझौते का रास्ता बताते हैं।
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