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कोरोना वायरस संक्रमण काल में मुनगा और भाजियों का यह रहा कमाल

locationरायपुरPublished: Feb 23, 2021 08:59:33 pm

Submitted by:

Anupam Rajvaidya

दुर्ग जिले के दो गांव गुजरा और बटरेल हुए कुपोषण मुक्त
मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान को बड़ी सफलता

कोरोना वायरस संक्रमण काल में मुनगा और भाजियों का यह रहा कमाल

कोरोना वायरस संक्रमण काल में मुनगा और भाजियों का यह रहा कमाल

नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में कोरोना वायरस प्रबंधन सराहनीय
मुख्यमंत्री सुपोषण मिशन के अंतर्गत गुजरा ग्रामपंचायत के 6 आंगनबाड़ी केंद्रों के 150 बच्चों में 16 बच्चे कुपोषित चिह्नांकित किए गए थे। मिशन के अंतर्गत लगातार इन बच्चों की बेहतर फीडिंग की गई और नतीजा सामने आया है। पिछले हफ्ते मटिया ग्राम की एकमात्र कुपोषित बच्ची क्षमा भी कुपोषण के दायरे से बाहर आ गई। गुजरा गांव दो महीने पहले ही कुपोषण के दायरे से बाहर आ गया था। इसी प्रकार बटरेल में अक्टूबर 2019 में 177 बच्चों में से 5 कुपोषित थे। अभी यहां 230 बच्चे हैं और एक भी कुपोषित नहीं है।
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जिला कार्यक्रम अधिकारी विपिन जैन ने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशानुरूप सुपोषण मिशन के अंतर्गत कुपोषित बच्चों को कुपोषण के दायरे से बाहर निकालने का कार्य जारी है। इसे ट्रैक करने के लिए सुपोषण साफ्टवेयर भी दुर्ग जिले में बनाया गया है। प्रथम फेस के लिए 11 हजार कुपोषित बच्चे चयनित किए गए थे। इसमें से लगभग 3600 कुपोषण की श्रेणी से बाहर आ गए थे। दूसरे चरण के बाद लगभग छह हजार बच्चे कुपोषण के दायरे में हैं, जिन्हें सुपोषित करने निरंतर कार्य किया जा रहा है।
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कुपोषण मुक्ति का लक्ष्य लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर पहुंचे। कार्यकर्ता लता नायर ने बताया कि पहले बच्चों के आहार में केवल चावल शामिल था, हमने रोटी की भी आदत की। खाने में मुनगा और भाजियों का समावेश किया। हमने अपनी आंगनबाड़ी में मुनगा भी रोपा।
ये भी पढ़ें…[typography_font:14pt;” >रायपुर. कोरोना वायरस संक्रमण काल के दौरान मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान को बड़ी सफलता मिली है। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में पाटन ब्लाक के दो गांव गुजरा और बटरेल पूरी तरह से कुपोषण मुक्त हो चुके हैं। कुपोषित बच्चों के आहार में मुनगा और भाजियों का समावेश किया गया, जिसका नतीजा सकारात्मक आया।
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