नगर निगम के प्रस्ताव पर आज से करीब दो महीना पहले प्रदेश शासन ने सड़क, नाली समेत अन्य विकास कार्यों को कराने के लिए २० करोड़ रूपए की मंजूरी दी थी। आलाधिकारियों ने भी यह राशि मिलते ही सभी विकास कार्यों के लिए धड़ाधड़ टेंडर निकाल दिया। टेंडर के समय भी ये बात सामने आई थी कि निगम के कुछ पदाधिकारियों और अधिकारियों ने मिलीभगत कर अपने चेहतेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए मलाईदार काम आबंटित कर दिया। इस एवज में कमीशन का भी जमकर खेल हुआ है। बहरहाल, आचार संहित लगने की संभावना को देखते हुए महापौर और सभापति ने भी बिना कोई देर किए, कार्यों को शुरू करने के लिए इसका भूमिपूजन कर दिया। वर्तमान में साढ़े 9 करोड़ रुपए की लागत से 90 सड़क और 60 नाली का निर्माण कार्य किया जा रहा है। इसी तरह ७.५० करोड़ रूपए की लागत से मकई तालाब, रामसागर, कठौली तालाब समेत अन्य तालाबों का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है। पत्रिका टीम ने मकई तालाब का जायजा लिया, तो पता लगा कि यहां करीब १.२३ करोड़ की लागत से पाथ-वे, टोवाल, सौंदर्यीकरण का काम द्रूतगति से चल रहा था। इसी तरह गोकुलपुर, पोस्ट आफिस, महात्मा गांधी वार्ड में भी नाला का काम अपनी रफ्तार पकड़ चुका है। ऐसी शिकायत मिल रही है कि निर्माण कार्यों की आड़ में जमकर अनियमितताएं बरती जा रही है। बनियापारा में बनाई गई नाली को लेकर भाजपा के ही एक वरिष्ठ नेता ने पीएम हाऊस तक अधिकारियों की शिकायत की है।
शहर में करोड़ों का काम बिना मानिटरिंग के चल रहा हैं। अधिकारियों को कार्यों की गुणवत्ता देखने की फुर्सत नहीं है। कई जगह पुराने बेस पर ही नालियां बना दी गई।
अनुराग मसीह, नेता प्रतिपक्ष
निगम प्रशासन निर्माण कार्यों में गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं करेगा। कहीं से शिकायत आई, तो कार्रवाई करने में देर नहीं करेंगे।
रमेश जायसवाल, कमिश्नर हो रहा आर्थिक नुकसान नगर निगम के पास विकास कार्यों की मॉनिटरिंग करने के लिए ८ सब इंजीनियर हैं। आचार संहिता जब से लगी है, तब से वे चुनावी कार्य में जुट गए हैं। इसके कारण वे चाहकर भी मॉनिटरिंग नहीं कर पा रहे। शायद यही वजह है कि मौके की नजाकत को समझते हुए ठेकेदारों ने भी गुणवत्ता को ताक पर रख दिया है। इससे निगम को आर्थिक नुकसान तो हो ही रहा है साथ ही कमजोर निर्माण कार्य से विकास कार्यों पर भी प्रश्न चिन्ह लग गया है।
कमीशन का खेल
निगम के पार्षद शिवओम बैगा नाग, राजेश पांडे, रानी मीनपाल, प्रीति बजाज, दीपक लोंढ़े का कहना है कि निगम प्रशासन ने जान-बूझकर आचार संहिता लगने के पहले निर्माण कार्य को शुरू कराया है, ताकि संबंधित ठेकेदारों को भरपूर लाभ मिल सके। इसके पीछे एकमात्र ध्येय कमीशन है। उन्होंने आगे कहा कि २० करोड़ के निर्माण कार्यों की गुणवत्ता की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए, तो वास्तविकता सामने आ जाएगी।