रायपुर

इन सीटों पर हो रही कांटे की टक्कर, पाली में राम भरोसे रामदयाल, रामपुर में भिड़े कंवर

पाली तानाखार सीट पर कांग्रेस छोडकऱ भाजपा में शामिल होने वाले रामदयाल पर अपनी पार्टी को तीसरे नंबर से उठाकर नंबर वन पर लाने की चुनौती है

रायपुरNov 18, 2018 / 04:14 pm

Deepak Sahu

इन सीटों पर हो रही कांटे की टक्कर, पाली में राम भरोसे रामदयाल, रामपुर में भिड़े कंवर

रायपुर. कोरबा की सीट में इस बार दो दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है तो जिले की पाली तानाखार सीट पर कांग्रेस छोडकऱ भाजपा में शामिल होने वाले रामदयाल पर अपनी पार्टी को तीसरे नंबर से उठाकर नंबर वन पर लाने की चुनौती है। कटघोरा, रामपुर सीट पर स्थानीय मुद्दे हावी हैं। रामपुर इलाका हाथी प्रभावित है, साथ ही वहां पर सडक़ों की भी समस्या है। वहीं कटघोरा क्षेत्र में कांग्रेस नेता बोधराम कंवर द्वारा अपने बेटे पुरुषोत्तम कंवर को टिकट दिलाने के कारण परिवारवाद भी मुद्दा बना हुआ है।
द्योग नगरी और ऊर्जा नगरी है। यहां के प्रत्याशी भी उसी अनुरूप हैं। कांग्रेस प्रत्याशी विधायक जयसिंह अग्रवाल और भाजपा प्रत्याशी विकास महतो दोनों ही मजबूत राजनीतिक पृष्ठभूमि होने के साथ उद्योगपति और बड़े ठेकेदार भी हैं। यहां चुनाव भी कुछ इसी अंदाज में लड़ा जा रहा है।
प्रत्याशी हर तरह हथकंडे आजमाने को तैयार बैठे हैं। जयसिंह अग्रवाल दो बार विधायक रहे हैं, इसलिए जाहिर तौर पर जनता उनके कामकाज का आंकलन कर रही है। वहीं विकास महतो के पिता बंशीलाल सांसद हैं इसलिए उनके कामकाज का तो पूरे कोरबा संसदीय क्षेत्र में ही आंकलन हो रहा है। दोनों प्रत्याशी जोर आजमाइश में जुटे हैं, वहीं जनता कांग्रेस प्रत्याशी रामसिंह अग्रवाल भी दोनों को ही टक्कर देते हुए तीसरे नंबर पर नजर आ रहे हैं।
इस त्रिकोणीय मुकाबले में जब वोटरों से बात की जाती है तो वे कहते हैं कि तीनों ही प्रत्याशी मजबूत आर्थिक और राजनीतिक पृष्ठभूमि से हैं। मुद्दे तो बहुत हैं, पर चुनावी मैनेजमेंट इस पर भारी पड़ रहा है। शहर में प्रदूषण से लोग त्रस्त हैं लेकिन इस पर आज तक किसी ने ध्यान नहीं दिया। शहर के आसपास रोड भी खराब हैं।

पाली तानाखार में रामदयाल की अग्नि परीक्षा
विधायक रामदयाल उइके ने कांग्रेस छोडकऱ भाजपा ज्वाइन कर राजनीति में ही नहीं बल्कि इस क्षेत्र की जनता में भी खलबली मचा दी है। जनता कहने लगी है कि उन्होंने अपनी मर्जी से पार्टी छोड़ी है, जनता की मर्जी से नहीं। लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी मोहित केरकेट्टा भी भाजपा छोडकऱ कांग्रेस आए हैं और चैतमा पाली जैसी जगहों पर भी लोग कहते हैं कि हमने तो उनको कभी देखा नहीं हैं।

गोड़वाना गणतंत्र पार्टी का यहां असर रहा है और पूर्व विधायक हीरासिंह मरकाम यहां से इस बार जोर लगा रहे हैं। लेकिन उनके बारे में भी जनता का कहना है कि वे तो जीतने के बाद मंडला-जबलपुर चले जाते हैं, हमें तो अपने बीच के लोग चाहिए। रामदयाल उइके ने जो मास्टर स्ट्रोक खेला है, उसमें बाल ऐसी अटकी है कि उनको जीत के लिए खूब रन बनाने पड़ रहे हैं। यहां भाजपा तीसरे नंबर रही है और गोंगपा दूसरे नंबर पर। उनको कांग्रेस से ज्यादा चुनौती गोंगपा से मिल रही है।
 

कटघोरा में परिवारवाद बना बड़ा मुद्दा
कटघोरा में भाजपा ने अपने पिछले विधायक लखन देवांगन को ही रिपीट किया तो कांग्रेस ने भी 2003 व 2008 में विधायक रहे बोधराम कंवर के बेटे पुरषोत्तम कंवर को टिकट देकर एक तरह से विधायक को ही रिपीट कर दिया। अब यहां पिछले विधायक के और बोधराम कंवर के कार्यों की तुलना के साथ ही यह चर्चा भी होती है कि कांग्रेस ने एक ही परिवार को यहां बढ़ावा दिया है। यहां पर पानी, खराब सडक़ें प्रमुख मुद्दा हैं। लोग इसके लिए बोधराम और लखन दोनों को ही जिम्मेदार बताते हैं।

रामपुर में हाथी और सडक़ों पर भी सवाल
कोरबा के शहरी इलाके की सीमा खत्म होते ही रामपुर विधानसभा शुरू हो जाती है। यह इलाका हाथियों का है। यहां के गांव ढेंगुर, कोरकोमा, केरवां, मुड़ुनार, मल्दामार आदि गांवों में हाथियों ने फसल को नुकसान पहुंचाया है। साथ ही यहां की सडक़ें भी खराब हैं। कई जगहों पर तो गांव में सीसी रोड का काम ही अधूरा छोड़ दिया गया। कांग्रेस के पिछले विधायक श्यामलाल कंवर और भाजपा ने वर्ष 2003 व 8 में विधायक और गृहमंत्री रहे ननकीराम कंवर को मैदान में उतारा है। दोनों की साख इस बार दावं पर है।

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