यह आंकड़े सोमवार को जिला निर्वाचन के आंकड़ों से बिलकुल मेल नहीं खा रहे हैं। सुरक्षा कारणों का हवाला देकर अभी आंकड़ों में एक और फेरबदल की संभावना भी जताई जा रही है। वहीं जो आंकड़े शाम पांच बजे तक के मतदान के बताकर दिए गए थे, उन्हें अब दोपहर 2 बजे तक मतदान की स्थिति बताया जा रहा है।
इन 18 सीटों में से दस धुर माओवादी क्षेत्र हैं, और आठ सीटें शहरी; राजनांदगांव शहरी सीट है, जहां सोमवार शाम आंकड़ा 70.5 था, जो आज 78.66 प्रतिशत हो गया ।
राजनांदगांव जिले में ही डोंगरगांव और डोंगरगढ़ विधानसभा क्षेत्र में सोमवार शाम पांच बजे यहां 71 प्रतिशत मतदान रिकॉर्ड किया गया था, वहीं ताजा आंकड़ों के मुताबिक डोंगरगढ़ में 81.56 और डोंगरगांव में 85.81 प्रतिशत मतदान हुआ है। इनके काफी इलाके शहरी हैं ।
जब मतदान दल लौट आए, तब आंकड़े पीछे क्यों छूटे : बस्तर में मतदान दलों की सुरक्षित वापसी बड़ी चुनौती होती है ऐसे में मतदान की सही स्थिति सामने आने में एक से तीन दिन का समय लग जाता है। सुकमा जिले में पहली बार मतदान दलों को पैदल लाने की बजाय हेलिकॉप्टर से लाया गया। जगरगुंडा और चिंतागुफा जैसे घोर माओवादी इलाकों से 13 मतदान दलों को लाया गया। इसी इलाके के 27 अन्य मतदान दलों को बूथ पर रोका गया था। नारायणपुर के 122 मतदान दलों में 117 की सकुशल वापसी रात में हो गई थी। यहां 22 मतदान दलों को हेलिकॉप्टर से लाना पड़ा।
इसके बावजूद आंकड़ों में देरी हुई
रात में सकुशल वापसी का दावा : धुर माओवाद प्रभावित विस क्षेत्र मोहला-मानपुर में दोपहर तीन बजे मतदान खत्म हो गया था। यहां से मतदान दलों की सुरक्षित वापसी देर रात तक हो गई थी। इसी तरह अन्य विस में भी अंदरूनी इलाकों से सभी मतदान दल ब्लॉक मुख्यालय पहुंच गए थे। इनसे मतदान का आंकड़ा ले लिया गया था। जिला मुख्यालय पर एक बार फिर आंकड़ों का मिलान किया गया। दोपहर तक सीलिंग भी पूरी हो गई थी।
बस्तर में मतदान से पहले माओवादियों ने उपद्रव मचाया। ऐन मतदान के दिन बीजापुर के पामेड़ इलाके में माओवादी मुठभेड़ हुई। इस क्षेत्र में मतदान कराने का दावा तो किया जा रहा है, लेकिन अभी तक यहां मतदान के स्पष्ट आंकड़े नहीं मिल पाए हैं। फिर अंतिम आंकड़ों का दावा कैसे किया गया?
मतदान को लेकर अक्सर यह बड़ा सवाल होता है कि माओवादी इलाके के आदिवासियों ने अब हालात से समझौता करना शुरू कर दिया है। दंतेवाड़ा के नीलावाया में इस बार महज 17 मत कुछ और ही कहानी कह रहे हैं। बीजापुर के जीरो वोटिंग वाले गोरखा बूथ पर 144 मत पड़ गए।
आखिर जनता के मन में है क्या?
बस्तर में अंदरूनी इलाकों से 12 किलोमीटर पैदल चलकर बड़ी संख्या में मतदान करने पहुंचे लोगों के मन में क्या है? इसे सरकार के खिलाफ नाराजगी से जोडकऱ देखा जाए या माओवाद के खिलाफ गुस्से के तौर पर? या गांव से कोसों दूर मतदान करने की होड़ विकास के लिए थी? इस पर कयासों का दौर है।
प्रशासन अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय महासचिव मोतीलाल वोरा ने बताया कि पहले चरण के मतदान में लोगों ने बढ़-चढकऱ हिस्सा लिया है। इसका फायदा कांग्रेस को मिलेगा। हम सभी सीटों पर जीत रहे हैं।
छत्तीसगढ़ के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी सुब्रत साहू ने बताया कि दुर्गम क्षेत्रों से आंकड़े देर से आ पाते हैं। मीडिया को जो पांच बजे आंकड़े दिए गए थे वे दोपहर 2 बजे तक के मतदान के थे। इसलिए शहरी क्षेत्रों में भी मतदान का प्रतिशत बढ़ गया है।