वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को दी जिम्मेदारी
बताया जाता है कि राजनीतिक दल के उम्मीदवार सीधे तौर पर निर्दलीय प्रत्याशियों से संपर्क करने की जगह उनके पास अपने कार्यकर्ताओं को भेज रहे हैं, ताकि किसी प्रकार की वाद-विवाद की परिस्थितियां उत्पन्न होने पर वो सीधे तौर पर बच सके। कार्यकर्ता ही निर्दलीय प्रत्याशियों से संपर्क कर ऑपर दे रहे हैं।
यह है बड़ी वजह
हर विधानसभा क्षेत्र में सभी प्रत्याशियों के एजेंट के लिए विशेष पास की व्यवस्था होती है। यह एजेंट ही प्रत्याशी की ओर से टेबल पर चल रही पूरी मतगणना प्रक्रिया पर नजर रखता है। गड़बड़ी की आशंका होने पर एजेंट ही अपनी आपत्ति भी दर्ज करा सकता है। वहीं डाक मतपत्र की गणना के दौरान भी एजेंटों की सबसे अहम भूमिका होती है। राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों की रणनीति यह है कि वो मतगणना स्थल पर अपने ज्यादा से ज्यादा समर्थकों को रखें, ताकि विवाद की स्थिति में संख्या बल के दम पर दबाव बनाया जा सके।
इनका कहना है
हो सकता है कि कोई निर्दलीय प्रत्याशी एेसे समय में किसी पार्टी को समर्थन देता हो, लेकिन भाजपा को इसकी आवश्यकता नहीं पड़ती है।
-संजय श्रीवास्तव, प्रवक्ता, भाजपा
कांग्रेस किसी भी निर्दलीय उम्मीदवार के अधिकार-पत्र में अपने एजेंट नहीं भेजती है। कांग्रेस उम्मीदवारों के अधिकार-पत्र से ही एजेंटों को भेजा जाएगा।
– धनंजय सिंह ठाकुर, प्रवक्ता, कांग्रेस