ग्रामीण इस बात से आक्रोशित हैं कि उनके क्षेत्र में भू-अर्जन की प्रक्रिया प्रस्तावित है। वह इस प्रक्रिया का विरोध कर रहे हैं और इसे हटाने की लगातार मांग कर रहे हैं। इसके लिए ग्राम पंचायत से भी प्रस्ताव पास कर शासन को भेजा जा चुका है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होने से गांव के लोग चुनाव का बहिष्कार कर अपनी मांग को मनवाना चाहते हैं। उन्होंने इस संबंध में घरघोड़ा एसडीएम को ज्ञापन भी सौंपा है।
एसडीएम घरघोड़ा को सौंपे गए ज्ञापन में इस बात का उल्लेख किया गया है कि पेलमा, उरबा, हिंझर जारीडिह, लालपुर, मड़वाडूमर, सक्ता, मीलूपारा सहित अन्य गांवों में पांच साल पहले भू-अर्जन कानून लगाया गया था। इस बात का ग्रामीण विरोध कर रहे हैं। वहीं लगातार इस क्षेत्र के ग्रामीण भू-अर्जन को समाप्त किए जाने की मांग कर रहे हैं। इसके विरोध में ग्रामीण पहले कोयला सत्याग्रह भी कर चुके हैं। इसके अलावा गांवों में सामूहिक ग्राम सभा आयोजित कर भू-अर्जन प्रक्रिया को हटाने का प्रस्ताव भी किया जा चुका है। ग्राम सभा के प्रस्ताव को जिला प्रशासन के पास भी भेजा गया, लेकिन ग्रामीणों की मांग नहीं मानी गई।
ग्रामीणों ने क्षेत्र में भू-अर्जन प्रक्रिया के विरोध में रैली भी निकाली थी और जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा था। अब ग्रामीण भू-अर्जन प्रक्रिया के विरोध में विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने तक में उतारु हो गए हैं। ग्रामीणों ने गांव के बाहर एक पोस्टर भी चस्पा किया है। पोस्टर में लिखा गया है कि जब तक क्षेत्र से भू-अर्जन नहीं हटाया जाएगा, तब तक वोट नहीं डलेगा। वहीं गांव में वोट मांगने आने वाले राष्ट्रीय व क्षेत्रीय पार्टियों के अलावा निर्दलीय प्रत्याशियों से यह अपील भी की है कि वे वोट मांग कर शर्मिंदा न हों।
ग्रामीणों के सवाल पर प्रशासन निरुत्तर
ग्रामीणों ने एसडीएम को सौंपे ज्ञापन में यह आरोप लगाया है कि भू-अर्जन की प्रक्रिया क्षेत्र में गलत तरीके से लगाई गई है। उन्होंने बताया कि सूचना के अधिकार के तहत कई बार जानकारी मांगने के बाद भी क्षेत्र में भू-अर्जन की प्रक्रिया किस समय लागू हुई, भू-अर्जन लगने की जानकारी किस व्यक्ति व ग्राम पंचायत को दी गई यद जवाब नहीं दिया जा रहा है। इस बात को लेकर भी ग्रामीणों में नाराजगी है।