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बताया जाता है कि कारोबारी और उसके सहयोगियों द्वारा फर्जी तरीके से करोडो़ं रुपए का लोन लिया गया था। साथ ही ओवरड्रॉफ्ट के जरिए मोटी रकम ली गई है। उसके रायपुर स्थित दफ्तर और घर से 15 लाख रुपए नकद, चल-अचल संपत्तियों, पावर ऑफ अटार्नी के पेपर्स मिले हैं। ईडी की 35 सदस्यीय टीम में गोवा के पणजी, महाराष्ट्र के नागपुर और छत्तीसगढ़ अधिकारी-कर्मचारी शामिल हैं। कारोबारी और उसके परिवारवालों के साथ पूछताछ कर उनके बयान लिए जा रहे हैं। छापेमारी की यह कार्रवाई दो से तीन दिनों तक चलने की संभावना जताई जा रही है।
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शेल कंपनियों का गठन
कागजों में 30 फर्जी कंपनियों का गठन कर पंजाब नेशनल बैंक, सेंट्रल बैंक और एक्सिस बैंक से करोड़ रुपए का लोन लिया गया था। इन्ही शैल कंपनियों के जरिए रकम का ट्रांजेक्शन किया जाता था। इस काम में राज्य के कुछ रसूखदार कारोबारी और राजनीति से जुड़े हुए लोग उनका सहयोग करते थे। जांच के दौरान उनकी संलिप्ता के प्रमाण मिले हैं। इसके दस्तावेज मिलने के बाद ईडी ने सभी को तलब किया है। बताया जाता है कि यह छापेमारी शराब कारोबारी के खिलाफ बैंकों की शिकायत के बाद की गई है। बताया जाता है कि प्राथमिक जांच में मिले पुख्ता साक्ष्य के आधार पर शराब कारोबारी के खिलाफ धनशोधन निवारण एक्ट (मनी लॉन्डिं्रग एक्ट) के तहत जुर्म दर्ज किया गया है।
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करोड़पति नौकर
कारोबारी द्वारा अपने, परिवारवालों, रिश्तेदार और नौकरों के नाम पर करोड़ रुपए की जमीन खरीदने की जानकारी मिली है। फर्जीवाड़े को छिपाने के लिए रायपुर और उसके आसपास के जिलों में नौकरों को करोड़ों की जमीन का मालिक बनाया गया है। लेकिन, पावर ऑफ अटार्नी अपने और परिवारवालों के नाम पर रखी गई है। बताया जाता है कि कारोबारी द्वारा दर्जनों फर्म में करोड़ों रुपए का निवेश किया गया है। बता दें कि 2014 में आयकर विभाग भी उसके ठिकानों पर छापेमारी कर चुका है। धोखाधड़ी के एक मामले में उसे गिरफ्तार कर 6 महीने के लिए जेल भेजा गया था। इस मामले में न्यायालय ने उसे जमानत पर रिहा किया है।