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केंद्र से अब तक मिला सिर्फ 54 हजार गठान बारदाना, किसानों में बढ़ रहा आक्रोश

locationरायपुरPublished: Nov 05, 2020 01:44:11 pm

Submitted by:

Ashish Gupta

– धान खरीदी के लिए 4.75 लाख गठान बारदाने की जरूरत- केंद्र सरकार से मांग 1.73 लाख गठान

Paddy Purchase

छत्तीसगढ़ में एक दिसंबर से शुरू हो रहे धान खरीदी में किसानों को मिलेगी ये सुविधा

रायपुर. न्यूनतम समर्थन मूल्य में धान खरीदी से पहले बारदानों की कमी से जूझ रहे छत्तीसगढ़ सरकार को नवम्बर के अंत तक का इंतजार करना पड़ेगा। राज्य सरकार ने धान खरीदी के लिए केंद्र सरकार से 1.73 लाख गठान बारदानों की मांग की थी, लेकिन मंजूरी केवल 1.43 लाख गठान को मिल सकी। इसमें भी अभी तक केंद्र सरकार से राज्य सरकार को सिर्फ 54 हजार गठान बारदाने ही मिल पाए हैं। इसका सीधा असर धान खरीदी पर पडऩा तय है और नुकसान प्रदेश के किसानों को उठाना पड़ेगा। इससे प्रदेश के किसानों में आक्रोश बढता जा रहा है।

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धान खरीदी के लिए राज्य सरकार को करीब 4.75 लाख गठान बारदानों की जरूरत है। एक गठान में करीब 500 बारदाने होते हैं। हर साल धान खरीदी के लिए 50 फीसदी नए और 50 फीसदी पुराने बारदानों का उपयोग किया जाता है। इस बार कोरोना संक्रमण की वजह से कोलकाता में अधिकांश जूट मिलों में उत्पादन प्रभावित हुआ है।
यही वजह है कि केंद्र सरकार से भी बारदाने मिलने में देरी हो रही है। खाद्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक केंद्र सरकार ने बारदाने भेजने के लिए कार्यक्रम तय किया है। इसके मुताबिक नवम्बर के अंत व दिसम्बर के शुरुआत में सभी बारदाने मिल जाएंगे। इसके अलावा मिलर्स, पीडीएस और प्लास्टिक के बारदानों की व्यवस्था कर धान खरीदी की तैयारी शुरू की गई है।

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पिछले साल भी 1 दिसम्बर से खरीदी
अधिकारियों का कहना है कि 1 दिसम्बर से धान की खरीदी होने में किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं आएगी। पिछले वर्ष भी 1 दिसम्बर से ही धान की खरीदी शुरू की गई थी।

केंद्र की गाइडलाइन के मुताबिक खरीदी
खाद्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि केंद्र सरकार की तय गाइडलाइन के मुताबिक प्लास्टिक के बारदानों की खरीदी की जा रही है। जैम पोर्टल के माध्यम से निजी कंपनियों से खरीदी होगी।
मजबूरी में कम कीमत में बेच रहे धान
किसान नेता डॉ. संकेत ठाकुर का कहना है कि जरूरत वाले किसानों ने मंडी में धान बेचना शुरू कर दिया है। रायपुर मंडी में ही धान की आवक हो रही है। किसान 1200 से 1400 प्रति क्विंटल की दर से धान बेचने को मजबूर हो रही है। यह स्थिति लगभग प्रदेशभर में बन रही है।
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