वैसे तो सरकार लगभग हर महीने कर्ज लेती आ रही है, लेकिन कोरोना संक्रमण काल में सरकार की वित्तीय स्थिति पूरी तरह बिगड़ गई थी। स्थिति यह था कि केंद्र से मिलने वाली राशि भी नहीं मिल पा रही है। मजबूर सरकार को कर्ज लेना पड़ा। इसमें भी अहम बात यह है कि सरकार ने वित्तीय वर्ष की शुरुआत में मार्च में तो कर्ज लिया, लेकिन अप्रैल, मई, जून और जुलाई में कोई कर्ज नहीं लिया। हालांकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पहले भी बयान दे चुके हैं कि हमने किसानों के लिए ऋण लिया है और जरूरत पड़ी तो आगे भी लेंगे।
विरासत में मिला कर्ज भूपेश सरकार पर कर्ज बढऩे का बड़ा कारण विरासत में मिला कर्ज भी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दिसम्बर 2018 में शपथ ली थी। 16 दिसम्बर 2018 की स्थिति में सरकार पर 41 हजार 695 करोड़ रुपए का कर्ज था। 15 नवम्बर 2020 की स्थिति में सरकार का कर्ज बढ़कर 66 हजार 968 करोड़ रुपए पहुंच गया था। सरकार ने 2019-20 में कर्ज पर 4225 करोड़ ब्याज भुगतान किया था।
केंद्र से लेने हैं 13 हजार 440 करोड़ कोरोना संक्रमण का असर केंद्र से मिलने वाली राशि पर भी पड़ा है। राज्य को केंद्र से 13 हजार 440 करोड़ रुपए लेने हैं। इसमें करीब दो दिन पूर्व जीएससी के 400 करोड़ रुपए मिले हैं। राज्य को जीएसटी क्षतिपूर्ति मद में केन्द्र सरकार से 3700 करोड़ की राशि प्राप्त होनी थी। वर्ष 2014 के पूर्व प्रदेश मे संचालित निजी कोयला खदानों से कोयले पर ली गई 4140 करोड़ रुपए की एडिशनल लेवी राशि प्राप्त होनी है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना में चावल की 5600 करोड़ रुपए की राशि प्राप्त नहीं हुई है।
सरकार पर कर्ज का बोझ