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छत्तीसगढ़ सरकार ने बैलाडीला में आवंंटित खदान को रद्द करने एनसीएल को जारी किया नोटिस

locationरायपुरPublished: Mar 07, 2020 07:47:39 pm

Submitted by:

ashutosh kumar

पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के कार्यकाल में हुआ था आवंटन

छत्तीसगढ़ सरकार ने रद्द की अडानी समूह को दी गई खदान की लीज, जारी किया कारण बताओ नोटिस

छत्तीसगढ़ सरकार ने रद्द की अडानी समूह को दी गई खदान की लीज, जारी किया कारण बताओ नोटिस

दो साल में खनन शुरू नहीं करने पर की गई कार्रवाई
रायपुर. छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने एनएमडीसी के संयुक्त उपक्रम कंपनी एनसीएल को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। नोटिस में सरकार ने कहा कि क्यों न बैलाडीला में आबंटित खदान को रद्द कर दिया जाए? सरकार ने इसका शर्तों के मुताबिक दो साल से खनन शुरू न होना बताया है। बैलाडीला में संयुक्त उपक्रम एनसीएल ने मोदी के करीबी उद्योगपति गौतम अडानी की कंपनी को एमडीओ के जरिए खनन काम दिया है।पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने यह खदान अडानी समूह को आवंटित की थी।

इसके लिए छत्तीसगढ़ शासन खनिज साधन विभाग के अवर सचिव कुंदन कुमार बंजारे ने नोटिस भेजकर 13 मार्च को अपरान्ह 3 बजे पक्ष मांगा है। जारी नोटिस में खनिज साधन विभाग मंत्रालय महानदी भवन नवा रायपुर में पक्ष रखने के लिए उपस्थित होने कहा गया है। अनुपस्थिति में नियमानुसार निर्णय लेने की बात कही गई है।
राज्य सरकार का यह निर्णय आयकर छापों के ठीक बाद आया है। जिसने केन्द्र और राज्य के बीच सियासी घमासान की स्थिति पैदा कर दी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आईटी को छापा को राजनीति से प्रेरित बताया था। कहा था कि केंद्र सरकार केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने रद्द की अडानी समूह को दी गई खदान की लीज, जारी किया कारण बताओ नोटिस
गौरतलब है कि भाजपा के शासनकाल में अडानी को उत्तर छत्तीसगढ़ में कोयला के कई खदानें एमडीओ के जरिए मिली हुई है। जिसे लेकर लगातार शिकायतें मिलती रही हैं। इन शिकायतों में फर्जी ग्राम सभाओं की अनुमति हासिल करना भी शामिल है। कांग्रेस की सरकार बनने के बाद प्राप्त शिकायतों के आधार एक्शन लिया गया है। बस्तर में ग्रामीणों की शिकायतों और आंदोलन के बाद जांच शुरू की गई है. जाँच पर लगातार कार्रवाई जारी है।
इस खदान का आवंटन साल 2018 में किया गया था और अडानी इंटरप्राइजेज कंपनी को खदान डेवलपर और ऑपरेटर (एमडीओ) बनाया गया था। भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अडानी समूह को यह बड़ी लौह अयस्क खदान आवंटित की थी। सरकारी जांच के बाद राज्य के वन विभाग द्वारा खदान के लिए दी गई वन मंजूरी पर भी पुनर्विचार किया जा रहा है, जिसमें ग्राम सभा की सहमति शून्य बताई गई है। इस मामले में सुनवाई के लिए 13 मार्च की तिथि तय की गई है।
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