बता दें कि भाजपा सरकार में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का चेहरा चमकाने की कवायद में लगी 48 फर्मों और एजेंसियों को भूपेश सरकार ने 3 जनवरी को बाहर का रास्ता दिखा दिया था। साथ ही छत्तीसगढ़ संवाद ने इनका इम्पैनलमेंट निरस्त कर दिया था।
बताया जा रहा है कि 21 निविदाओं के जरिए छत्तीसगढ़ संवाद ने इन एजेंसियों और फर्मों को सूचीबद्घ किया था। इनको 85 करोड़ रुपए का ठेका दिया था, जिसमें से 61 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया गया था। संवाद में बजट से अधिक राशि खर्च कर सरकारी खजाने को करोड़ों का नुकसान पहुंचाने का मामला सामने आया है। वहीं, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने अपनी रिपोर्ट में इ-टेंडरिंग में 4601 करोड़ रुपए की अनियमितताओं का खुलासा किया था। राज्य सरकार ने मामलों की गंभीरता को देखते हुए इनकी जांच कराने की जिम्मेदारी इओडब्ल्यू को सौंपी है।