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रायपुर

नेताओं-अफसरों की पत्नियों व रिश्तेदारों के लिए खुले हैं रास्ते, बेरोजगारों को नौकरी नहीं

छत्तीसगढ़ में संविदा नियुक्ति पाने की परंपरा को रोके जाने के लिए पारदर्शी सिस्टम की दरकार

रायपुरJan 20, 2020 / 01:39 am

Anupam Rajvaidya

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दिलचस्प यह रहा कि सरकार बदलते ही कुछ एक ने या तो इस्तीफा दे दिया या हटा दिया गया, लेकिन आज भी कई विभागों में इनकी नियुक्ति चर्चा में है। केवल कंसल्टेंट ही नहीं, अन्य पदों पर भी अफसरों के नातेदारों, रिश्तेदारों की संविदा नियुक्ति की खबर बार-बार आती रहती है। लेकिन ऐसा कोई सिस्टम ही नहीं है जिससे इस किस्म की नियुक्तियों पर रोक लग सके।
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छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्य सचिव एस.के. मिश्रा कहते हैं कि अगर किसी अफसर की पत्नी या रिश्तेदार अपनी योग्यता के दम पर नौकरी पाते हैं तो उसमें कोई बुराई नहीं है। लेकिन अगर रसूख के दम पर नियुक्ति दी जाती है तो यह घोर अनैतिक है। पूर्व सरकार में मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव, राज्य के मुख्य सचिव समेत कई सचिव स्तर के बड़े अधिकारियों ने अलग अलग विभागों में अपनी पत्नियों, बच्चों, दामादों को संविदा के आधार पर नियुक्तियां दिला दी थी।
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छत्तीसगढ़ में कई विभागों में इन नियुक्तियों के लिए नियम-कायदे भी ऐसे बनाए गए कि इनकी नियुक्तियों में आसानी हो। संविदा पर नियुक्तियों में किसी तरह से नियमों में छेड़छाड़ की गई इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले वर्ष मनरेगा मे स्टेट प्रोग्राम मैनेजर के पद पर नियुक्ति के लिए छत्तीसगढ़ के मूल निवासी होने की शर्त हटा दी गई थी। पिछली सरकार मे मंत्रालय में करीब दो दर्जन सीएम फैलो भी कार्यरत थे। एक-दो लाख महीने के पैकेज में इनकी नियुक्तिआईएएस अफसरों के स्तर पर की गई थी, अब उन्हें हटा दिया गया है।
[typography_font:14pt;” >रायपुर. छत्तीसगढ़ सरकार ने अप्रैल 2018 में सभी विभागों को पत्र लिखकर कंसल्टेंट के पद पर तैनात नियुक्तियों का ब्योरा मांगा था। दरअसल, भाजपा सरकार के समय विभिन्न विभागों के एक दर्जन से ज्यादा पदों पर नौकरशाहों की पत्नियां या फिर रिश्तेदार बतौर कंसल्टेंट तैनात थे और यह सभी नियुक्यिां संविदा पर की गई थी।
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