गरियाबंद में शराबबंदी हेतु महिलाओं की गोलबंदी, पिथौरा में महिलाओं को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना और फिर जांजगीर-चांपा से लेकर महिला शिक्षा की बात हो। अनु ने महिलाओं के बीच शि²त के साथ काम किया है।
महिलाओं को किया जागरूक
महिलाओं को किया जागरूक
गरियाबंद छुरा की लोक आस्था की लता नेताम बताती है कि लगता हि नहीं था की हम विदेश से पढ़ कर आई किसी बड़े अधिकारी से बात कर रहे हैं। वो एक दम सहज और सरल थी जिसके कारण हम ग्रामीण महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरुकता आई। यहां 17 गांव में महिलाओं ने न्याय समितियां बना रखी हैं, शराबबंदी में आज पंचायत हमारे साथ है, और अब हमें सरकारी योजनाओं का भी लाभ मिल रहा है।
बस्तर से रायपुर तक किया काम
बस्तर से रायपुर तक किया काम
वर्ष 2014-17 तक छत्तीसगढ़ में ऑक्सफेम इंडिया में प्रोग्राम ऑफिसर का कार्य करने वाली अनु वर्मा जेंडर जस्टिस के मुद्दें को विभिन्न मंच पर सशक्त तरीके से उठाती रही हैं। चाहे पुलिस को महिला अधिकारों के प्रति संवेदनशील बनाना हो या फिर युवाओं में महिलाओं के अधिकारों के प्रति जागरूक करना या फिर महिला स्वास्थ्य एवं शिक्षा की बात हो अनु ने बस्तर से रायपुर तक अभियान चलाया।
छत्तीसगढ़ संयुक्त महिला मंच बनाया
छत्तीसगढ़ में महिलाओं के आवाज को एक सशक्त आवाज बनाने के लिए छत्तीसगढ़ संयुक्त महिला मंच की स्थापना की और उसके माध्यम से महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक किया फलस्वरूप महिलाएं सशक्त रूप में गोलबंद हो गई। इसके अलावा छत्तीसगढ़ संयुक्त महिला मंच के नेतृत्व में महिलाओं ने अपने अधिकार के लिए एक महिला नीति का ड्राफ्ट सरकार को दिया था। इससे महिलाओं को अपने अधिकारों के मुद्दें उठाने में काफी मदद मिली।
छत्तीसगढ़ संयुक्त महिला मंच बनाया
छत्तीसगढ़ में महिलाओं के आवाज को एक सशक्त आवाज बनाने के लिए छत्तीसगढ़ संयुक्त महिला मंच की स्थापना की और उसके माध्यम से महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक किया फलस्वरूप महिलाएं सशक्त रूप में गोलबंद हो गई। इसके अलावा छत्तीसगढ़ संयुक्त महिला मंच के नेतृत्व में महिलाओं ने अपने अधिकार के लिए एक महिला नीति का ड्राफ्ट सरकार को दिया था। इससे महिलाओं को अपने अधिकारों के मुद्दें उठाने में काफी मदद मिली।
अनु इन दिनों साउथ एशिया पेस्टोरल एलायंस की अध्यक्ष है और वह आदिवासी मालधारी के हित संवर्धन, गाय और चारगाहों को बचाने के लिए कार्य कर रही हैं। अपने कार्य के संबंध में अनु बताती है कि महिलाएं अगर सबल होंगी उन्हें समानता मिलेगी तो समाज की अधिकांश बुराई अपने आप खत्म हो जाएगी