मरीज कम, चूहे अधिक
ग्राम जालबंधा खैरागढ़ जिला राजनांदगांव के निवासी भागवत कुर्रे ने अपनी शिकायत में कहा है कि कुछ समय पहले उनकी पत्नी गर्भवती थीं तब कतिपय चिकित्सकों ने उन्हें आइएमआइ अस्पताल की सेवा लेने की सलाह दी थी। पूरे अस्पताल में दिन हो रात… एक से डेढ़ किलो वजन के चूहे विचरण करते रहते हैं। एक रात जब उनकी पत्नी अचेत अवस्था में थीं तब चूहों ने हमला बोल दिया था।
कुर्रे ने बताया कि चूहे नवजात बच्चे को भी नुकसान पहुंचा सकते थे, लेकिन पूरी रात जागकर उन्होंने चार से पांच चूहों का खात्मा किया। कुर्रे ने कहा कि अगर उनकी पत्नी की दशा नाजुक नहीं होती तो वे किसी अन्य अस्पताल की सेवा ले सकते थे, लेकिन वे बेबस हो गए थे। शिकायतकर्ता ने प्रधानमंत्री को लिखा- जब मैंने अस्पताल प्रबंधन से बात की तो जवाब मिला- चूहे तो आते रहते हैं। आपको बेड बदल लेना चाहिए था।
स्मार्ट कार्ड में धांधली
दुर्ग स्वास्थ्य विभाग के नोडल अधिकारी डॉक्टर सुगम सांवत ने कहा कि अस्पताल में चूहों की शिकायत तो अब मिली है, इससे पहले कुछ नागरिकों ने स्मार्ट कार्ड के जरिए गड़बड़ी की शिकायत भेजी थी। मुझे मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी ने जांच का जिम्मा सौंपा था। कई दिनों की पड़ताल मैंने यह पाया कि अस्पताल में स्मार्ट कार्ड पर इलाज के नाम पर मरीजों के साथ धोखाधड़ी की जा रही है।
मेरी रिपोर्ट के बाद अस्पताल में स्मार्ट कार्ड से इलाज की सुविधा खत्म कर दी गई थी, जो न जाने अब कैसे बहाल कर दी गई है। इस अस्पताल का संचालक राजेश कुमार स्वयं को एमबीबीएस डाक्टर भी बताता रहा है। जांच-पड़ताल में यह तथ्य भी प्रकाश में आया वह चिकित्सक ही नहीं है।
दुर्ग के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सुभाष पाण्डे ने कहा कि यह सच है कि अस्पताल को लेकर कई गंभीर शिकायतें मिलती रही है। एक बार चिकित्सक दल को निरीक्षण के दौरान परिसर में ही मेडिकल कचरा मिला था। अस्पताल प्रबंधन ने राष्ट्रीय एवं मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना का भी उल्लंघन किया है। फिलहाल अस्पताल प्रबंधन को सुधार की अंतिम चेतावनी दी गई है। मरीजों की जान से खिलवाड़ को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
आईएमआई अस्पताल के संचालक राजेश कुमार ने कहा कि यह सही है कि मैं डाक्टर नहीं हूं। अस्पताल का संचालक हूं तो लोग डाक्टर बोल देते हैं। जिसकी जो मर्जी बोले… मैं क्या कर सकता हूं। जहां तक चूहों की बात है तो वे घर में भी आ सकते हैं और अस्पताल में भी। फिर भी हमने ‘पेस्ट कंट्रोल ऑफ इंडिया’ का प्रमाण पत्र मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी को पेश कर दिया है।