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हसदेव-मांड के जंगलों की कोयला खदानों की नीलामी पर छत्तीसगढ़ को आपत्ति, वन मंत्री ने केंद्रीय मंत्री को लिखा पत्र

locationरायपुरPublished: Jun 22, 2020 03:16:27 pm

Submitted by:

Karunakant Chaubey

वन मंत्री ने छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य एवं उससे सटे मांड नदी के जल ग्रहण क्षेत्र तथा प्रस्तावित लेमरू हाथी रिजर्व की सीमा में आने वाले क्षेत्रों में स्थित कोल ब्लाकों को नीलामी में शामिल नहीं करने का अनुरोध किया है।

रायपुर. केंद्र सरकार द्वारा कोयला खदानों की व्यावसायिक नीलामी शुरू हो जाने के बाद छत्तीसगढ़ ने औपचारिक आपत्ति दर्ज कराई है। प्रदेश के वन, आवास एवं पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर ने केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को पत्र लिखा है। वन मंत्री ने छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य एवं उससे सटे मांड नदी के जल ग्रहण क्षेत्र तथा प्रस्तावित लेमरू हाथी रिजर्व की सीमा में आने वाले क्षेत्रों में स्थित कोल ब्लाकों को नीलामी में शामिल नहीं करने का अनुरोध किया है।

मोहम्मद अकबर ने लिखा, हसदेव एवं मांड नदी के जल ग्रहण क्षेत्र में भी कोल ब्लाकों की नीलामी प्रस्तावित है। इससे लगे 1995 वर्ग किमी क्षेत्र में लेमरू हाथी रिजर्व प्रस्तावित है। अधिसूचना निकलने वाली है। राज्य में वनों एवं पर्यावरण की सुरक्षा तथा भविष्य में मानव हाथी द्वंद्व की घटनाओं पर प्रभावी नियंत्रण और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए उस क्षेत्र में खनन गतिविधियों पर रोक अत्यंत आवश्यक है।

खनन का विरोध कर रहे छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन ने इस पत्र का स्वागत किया है। आंदोलन के आलोक शुक्ला ने कहा, केन्द्र सरकार ने कोल ब्लॉक की नीलामी प्रक्रिया में न सिर्फ पर्यावरण की चिंताओं को दरकिनार किया हैं, बल्कि पांचवीं अनुसूचित ग्रामसभाओं के विरोध को भी ंज्ञान में नहीं लिया। यह नीलामी संघीय ढांचे पर भी हमला है क्योंकि पूरी प्रक्रिया का केन्द्रीयकरण कर खनिज में राज्यों के अधिकारों को छीना हैं।

आपत्ति वाले क्षेत्र में पांच खदानें

वन मंत्री ने हसदेव अरण्य, मांड और लेमरू के जिस क्षेत्र पर आपत्ति की है, वहां पांच कोल ब्लॉक नीलामी पर चढ़े हुए हैं। इनमें मोरगा-2, मोरगा साउथ, मदनपुर नार्थ, फतेहपुर ईस्ट और स्यांग शामिल हैं। इनका कुल क्षेत्रफल 100 वर्ग किमी से अधिक है।

न्यायालय पहुंचा है झारखंड

उधर केंद्र की नीलामी प्रक्रिया के खिलाफ पड़ोसी राज्य झारखंड सर्वोच्च न्यायालय पहुंच गया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा, नीलामी प्रक्रिया आगे बढ़ाने से पहले राज्य की सामाजिक आर्थिक और पर्यावरणीय चिंताओं को ध्यान में नही रखा गया है। यह सहकारी संघवाद की भावना के खिलाफ है।

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