ऐसा है अतिरिक्त चावल का गणित
खरीदे गए 83 लाख 67 हजार मीट्रिक टन धान से 56 लाख 51 हजार मीट्रिक टन चावल बनेगा। छत्तीसगढ़ में पीडीएस के लिए 25 लाख 40 हजार मीट्रिक टन चावल की जरूरत है। इसकी पूर्ति सेंट्रल पूल से 15.48 लाख मीट्रिक टन और स्टेट पूल से 9.92 लाख मीट्रिक टन चावल से हो जाएगी। सरकार के पास 31.11 लाख मीट्रिक टन चावल सरप्लस होगा। केंद्र ने एफसीआई में 24 लाख मीट्रिक टन चावल जमा करने की अनुमति दे दी है। इसके बाद भी राज्य के 7 लाख 11 हजार मीट्रिक टन चावल बचा रह जाएगा।
सरकार का तर्क
सरकार का तर्क है, प्रदेश में धान उपार्जन एवं कस्टम मिलिंग चावल का कार्य राज्य सरकार और केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के मध्य हुए एमओयू के अनुसार किया जाता है। इस एमओयू की कंडिका 18 में समस्त सरप्लस चावल एफसीआई द्वारा उपार्जित किए जाने का प्रावधान है।