पुलिस का मुखबिर तंत्र हुआ कमजोर इसलिए राजधानी में बाहरी गिरोह कर रहे हैं वारदात
- हर साल चोरी, लूट, ठगी, अपहरण जैसी घटनाओं को देते हैं अंजाम।
- अपराधियों के लोकल लिंक का नहीं होता खुलासा।

रायपुर। हर साल राजधानी में दूसरे राज्यों के आपराधिक गिरोह आकर वारदात करते हैं और आसानी से भाग निकलते हैं। अपराध करने से पहले उनकी पहचान नहीं हो पाती है। इसकी बड़ी वजह पुलिस का शहर में मजबूत मुखबिर तंत्र नहीं है और बीट पुलिसिंग भी कमजोर पड़ गई है।
सूत्रों के मुताबिक पैसा नहीं मिलने के कारण कई पुराने मुखबिरों ने काम छोड़ दिया है। यही वजह है कि शहर में दूसरे राज्य के गिरोह चोरी, लूट, ठगी, अपहरण आदि जैसे बड़े अपराध करने में सफल हो रहे हैं और साथ ही आसानी से फरार भी हो जाते हैं। बाद में गिरोह के लोग पकड़ में आते हैं। लेकिन सभी पकड़े नहीं जाते हैं और न ही उनके लोकल नेटवर्क का पता चलता है।
शहर के एंट्री पाइंट पर ध्यान नहीं
शहर के एंट्री पाइंट पर पुलिस का मुखबिर तंत्र ज्यादा कमजोर है। पहले रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, एयरपोर्ट के अलावा प्रमुख मार्गों पर स्थित होटल-ढाबों में भी पुलिस के मुखबिर सक्रिय रहते थे और बाहर से आने वाले संदिग्धों पर नजर रखते थे। उनके बारे में पूरी जानकारी निकाल लेते थे। पिछले कुछ सालों से यह निगरानी बंद हो गई है। इस कारण एंट्री पाइंट से आने वाले संदिग्धों का पता नहीं चल पाता है।
पुराने मुखबिर हुए किनारे
जिले के कई पुराने मुखबिरों ने पुलिस के लिए काम करना छोड़ दिया है। सूत्रों के मुताबिक मुखबिरी के एवज में उन्हें कुछ नहीं मिल रहा था। इसके चलते कई लोगों ने मुखबिरी से किनारे कर लिया है। इसके चलते भी बाहरी गिरोह से जुड़ी जानकारी पुलिस तक नहीं पहुंच पा रही है।
चर्चित गिरोह
- उद्योगपति प्रवीण सोमानी का अपहरण करने वाला यूपी का चंदन तस्कर गिरोह
- मध्यप्रदेश का चोरी करने वाला पत्थरगैंग
- उठाईगिरी करने वाला दक्षिण भारत का गिरोह
- ओडिशा का ठगी करने वाला गिरोह
- पुलिस बनकर ठगी करने वाले गिरोह
- एटीएम मशीन बंद करके ठगी करने वाला हरियाणा गिरोह
बाहरी गिरोह से जुड़े लोगों की पतासाजी करने के लिए पुलिस होटल-लॉज, ढाबों में लगातार चेकिंग अभियान चला रही है। मुखबिर भी अलर्ट हैं। अब पहले से ज्यादा सूचनाएं पुलिस तक आ रही है।
- लखन पटले, एएसपी-शहर, रायपुर
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