‘द ट्राइबल कोऑपरोटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (ट्राईफेड)’ की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में 4 जुलाई तक की स्थिति में 104 करोड़ 74 लाख रुपए की राशि के 46 हजार 39 मीट्रिक टन लघु वनोपजों का संग्रहण हो चुका है, जो देश के सभी राज्यों में सर्वाधिक है। इनमें 27 जून तक 76 करोड़ रुपए की राशि के 71 हजार 582 मीट्रिक टन लघु वनोपजों का संग्रहण हुआ था और चालू सप्ताह में ही 29 करोड़ रुपए की राशि के 14 हजार 458 मीट्रिक टन लघु वनोपजों का संग्रहण किया गया है।
इसी तरह देश के अन्य राज्यों में अब तक लगभग 140 करोड़ रुपए की राशि के 64 हजार 963 मीट्रिक टन लघु वनोपजों का संग्रहण किया गया है। इनमें छत्तीसगढ़ के पश्चात् ओड़िशा में 28 करोड़ रुपए की राशि के 13 हजार 367 मीट्रिक टन, तेलंगाना में 2 करोड़ 26 लाख रुपए के 4 हजार 769 मीट्रिक टन तथा गुजरात में एक करोड़ 73 लाख रुपए के 196 मीट्रिक टन लघु वनोपजों का संग्रहण हुआ है।
इसी तरह मध्यप्रदेश में 82 लाख रुपए के 232 मीट्रिक टन, झारखण्ड में 61 लाख रुपए के 33 मीट्रिक टन, आन्ध्रप्रदेश में 53 लाख रुपए के 96 मीट्रिक टन तथा असम में 27 लाख रुपए के 47 मीट्रिक टन लघु वनोपजों का संग्रहण हुआ है। इसके अलावा पश्चिम बंगाल में 26 लाख रुपए के 95 मीट्रिक टन, कर्नाटक में 24 लाख रुपए के 11 मीट्रिक टन, महाराष्ट्र में 20 लाख रुपए के 71 मीट्रिक टन तथा राजस्थान में छह लाख रुपए की राशि के 6 मीट्रिक टन लघु वनोपजों का संग्रहण किया गया है।
उल्लेखनीय है कि राज्य में चालू वर्ष में न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना के अंतर्गत संग्रहित लघु वनोपजों में इमली (बीज सहित), पुवाड़ (चरोटा), महुआ फूल (सूखा), बहेड़ा, हर्रा, कालमेघ, धवई फूल (सूखा), नागरमोथा, इमली फूल, करंज बीज तथा शहद शामिल हैं।
इसके अलावा बेल गुदा, आंवला (बीज रहित), रंगीनी लाख, कुसुमी लाख, फुल झाडु, चिरौंजी गुठली, कुल्लू गोंद, महुआ बीज, कौंच बीज, जामुन बीज (सूखा), बायबडिंग, साल बीज, गिलोय तथा भेलवा लघु वनोपजें भी इसमें शामिल हैं। साथ ही हाल ही में वन तुलसी बीज, वन जीरा बीज, ईमली बीज, बहेड़ा कचरिया, हर्रा कचरिया तथा नीम बीज को भी शामिल किया गया है।