कंपनी के अनुसार जहां एयर इंसुलेटेड सिस्टम (एआईएस) सबस्टेशन में पानी गिरने, फ्लैक्स या प्लास्टिक उड़कर चिपकने अथवा आंधी से लाइन बंद हो जाती है। वहीं रावणभाठा में 132 केबी स्टेशन में गैस इंसुलेटेड सिस्टम (जीआईएस) में लाइन बंद होने की समस्या नहीं आती। 132 केबी का ये सब स्टेशन 33/11 को बिना किसी रूकावट के बिजली पहुंचाता है।
ऑटोमेटिक सिस्टम से लैस एक कर्मचारी द्वारा ही लैपटॉप या कम्प्यूटर से जीआईएस सब स्टेशन को कंट्रोल किया जाता है। इस सिस्टम से सात फीडर जुड़े हैं, जिसमें डंगनिया, टैगोरनगर, सुंदरनगर, शांतिनगर, रावणभाठा, लाखे नगर सहित राजधानी के करीब दो लाख उपभोक्ता शामिल हैं।
ऐसे काम करता है जीआईएस
अधिकारियों ने बताया कि जीआईएस पूरी तरह इंडोर होता है। सिस्टम में बड़ी बड़ी पाइप लाइनें होती है, जिसमें गैस भरी जाती है। इसमें सब स्टेशन के इक्यूपमेंट स्टॉल किए जाते हैं। ऑटोमेटिक सिस्टम से लैस इसे कम्प्यूटर या लैपटॉप से संचालित किया जाता है। जिसमें न अधिक कर्मचारी की जरूरत होती है और न ही अधिक मेंटनेंस की।
सभी सब स्टेशन हैं एआईएस
प्रदेश के सभी सब स्टेशन एयर इंसुलेटेड सिस्टम (एआईएस) से काम करते हैं। जो बड़े से भू भाग में विशाल ट्रांसफार्मर, पोल व बिजली के इक्यूपमेंट से बना होता है। ये सिस्टम पूरी तरह मेनुअल काम करता है। रखरखाव और मेंटेनेंस के लिए अधिक व्यय करना होता है। खुले में होने के कारण सब स्टेशनों में आए दिन खराबी आते रहती है।
छग पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी एमडी तृप्ति सिन्हा ने कहा, जीआईएस को एक कमरे में ही स्टॉल किया गया है। ये बिजली कंपनी द्वारा प्रदेश में पहली बार इस सिस्टम का प्रयोग किया गया है।