पुलिस के मुताबिक छत्तीसगढ राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग दीनदयाल पटेल न्यायालय प्रभारी और विनोद कुमार साहू लेखा प्रभारी के तौर पर कार्यरत थे। फोरम ने वर्ष 2015 से 2017 के बीच कई मामलों में अनावेदक पक्ष को जुर्माना किया था। इस जुर्माने की राशि को अनावेदक पक्ष से लेकर फोरम के एसबीआई पंडरी के शासकीय खाता में जमा करना था।
इसके बाद इस राशि को चालान के जरिए शासन के खाते में जमा करना था। यह काम लेखा प्रभारी और न्यायालय प्रभारी के जिम्मे था। लेकिन दोनों ने मिलकर जुर्माने की राशि को फोरम के खाते से चालान बनाकर निकालते थे, लेकिन शासन के खाते में जमा नहीं करते थे। इस तरह दोनों ने अलग-अलग दिन फोरम के 39 लाख 42 हजार रुपए को निकाल लिया और अपने खातों में जमा किया। करीब दो साल तक गबन का खेल चलता रहा। फोरम के खाते की जांच के बाद मामले का खुलासा हुआ। दोनों के खिलाफ देवेंद्र नगर थाने में शिकायत की गई। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 471, 409 के तहत अपराध दर्ज कर दोनों को गिरफ्तार कर लिया है।
30 हजार के चेक को बना देते थे 6 लाख 30 हजार का
पुलिस के मुताबिक विभिन्न मामलों में फोरम की ओर से अनावेदकों पर जुर्माना लगाया जाता था। जितना जुर्माना होता था, उतनी राशि को फोरम के खाते में जमा करवाया जाता था। फिर उस राशि को नोटशीट चलाकर चालान के जरिए शासन के खाते में जमा करते थे, ताकि अंतिम फैसला आने पर ब्याज सहित उस राशि को पीडि़त पक्ष को लौटाया जा सके। आरोपी यही खेल किया करते थे। शासन के खाते में राशि जमा करने के लिए नोटशीट तैयार करके चेक जारी करवाते थे। जैसे फोरम के खाते से 30 हजार रुपए निकालने के नाम पर नोटशीट बनाकर चेक जारी करवाते थे। अधिकारियों से 30 हजार के नोटशीट और चेक में साइन करवा लेते थे। और बाद में उसी नोटशीट व चेक में 30 हजार के आगे 6 लिख देते थे, जिससे की चेक 6 लाख 30 हजार रुपए का हो जाता था। फिर फोरम के खाते से 6 लाख 30 हजार रुपए निकाल लेते थे। और उसमें से केवल 30 हजार रुपए शासन के खाते में जमा करते थे। बाकी के 6 लाख रुपए खुद रख लेते थे। इसी तरह 42 हजार को 1 लाख 42 हजार कर देते थे। इसी तरह दो बार 10-10 लाख रुपए भी निकाला है।
पुलिस के मुताबिक विभिन्न मामलों में फोरम की ओर से अनावेदकों पर जुर्माना लगाया जाता था। जितना जुर्माना होता था, उतनी राशि को फोरम के खाते में जमा करवाया जाता था। फिर उस राशि को नोटशीट चलाकर चालान के जरिए शासन के खाते में जमा करते थे, ताकि अंतिम फैसला आने पर ब्याज सहित उस राशि को पीडि़त पक्ष को लौटाया जा सके। आरोपी यही खेल किया करते थे। शासन के खाते में राशि जमा करने के लिए नोटशीट तैयार करके चेक जारी करवाते थे। जैसे फोरम के खाते से 30 हजार रुपए निकालने के नाम पर नोटशीट बनाकर चेक जारी करवाते थे। अधिकारियों से 30 हजार के नोटशीट और चेक में साइन करवा लेते थे। और बाद में उसी नोटशीट व चेक में 30 हजार के आगे 6 लिख देते थे, जिससे की चेक 6 लाख 30 हजार रुपए का हो जाता था। फिर फोरम के खाते से 6 लाख 30 हजार रुपए निकाल लेते थे। और उसमें से केवल 30 हजार रुपए शासन के खाते में जमा करते थे। बाकी के 6 लाख रुपए खुद रख लेते थे। इसी तरह 42 हजार को 1 लाख 42 हजार कर देते थे। इसी तरह दो बार 10-10 लाख रुपए भी निकाला है।
जगह छोड़कर बनाते थे नोटशीट और चेक
आरोपी लेखा प्रभारी विनोदकुमार साहू मामले का मास्टरमाइंड है। बताया जाता है कि विनोद ही नोटशीट और चेक बनाता था। और जानबूझकर नोटशीट और चेक में अंक और शब्दों को जोडऩे के लिए जगह छोड़कर रखता था। इस पर अधिकारी ध्यान नहीं दे पाते थे। इसका फायदा आरोपी उठाते थे। आरोपी विनोद कुमार ने दो बार फोरम के 10-10 लाख रुपए को अपने निजी बैंक खाता में जमा किया है।
आरोपी लेखा प्रभारी विनोदकुमार साहू मामले का मास्टरमाइंड है। बताया जाता है कि विनोद ही नोटशीट और चेक बनाता था। और जानबूझकर नोटशीट और चेक में अंक और शब्दों को जोडऩे के लिए जगह छोड़कर रखता था। इस पर अधिकारी ध्यान नहीं दे पाते थे। इसका फायदा आरोपी उठाते थे। आरोपी विनोद कुमार ने दो बार फोरम के 10-10 लाख रुपए को अपने निजी बैंक खाता में जमा किया है।
पासबुक में कूटरचना भी
फोरम के बैंक खाता के पासबुक में भी आरोपियों ने कूटरचना की है। पासबुक में खाते से 10 लाख, 6 लाख आहरण को कांटछांट करके मिटा देते थे, जिससे केवल हजार वाला हिस्सा है वही दिखता था। वार्षिक स्टेटमेंट की जांच के दौरान पूरे मामले का खुलासा हुआ। फोरम ने दोनों को नोटिस देकर मामले में स्पष्टीकरण मांगा था, लेकिन दोनों कोई जवाब नहीं दे सके। इसके बाद दोनों के खिलाफ अपराध दर्ज कराया गया है।
फोरम के बैंक खाता के पासबुक में भी आरोपियों ने कूटरचना की है। पासबुक में खाते से 10 लाख, 6 लाख आहरण को कांटछांट करके मिटा देते थे, जिससे केवल हजार वाला हिस्सा है वही दिखता था। वार्षिक स्टेटमेंट की जांच के दौरान पूरे मामले का खुलासा हुआ। फोरम ने दोनों को नोटिस देकर मामले में स्पष्टीकरण मांगा था, लेकिन दोनों कोई जवाब नहीं दे सके। इसके बाद दोनों के खिलाफ अपराध दर्ज कराया गया है।
शिकायत के बाद मामला दर्ज कर दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। मामले में और पूछताछ की जा रही है।
– राजेश देवदास, टीआई, देवेन्द्र नगर थाना
– राजेश देवदास, टीआई, देवेन्द्र नगर थाना