बता दें कि राज्य सरकार ने अगस्त 2022 में ईवी पॉलिसी का नोटिफिकेशन जारी किया था। इसमें वाहन की कुल कीमत का न्यूनतम 10 फीसदी और अधिकतम 1.50 लाख तक छूट दिए जाने की घोषणा की गई थी। लेकिन, कोई भी ऑटोमोबाइल्स शोरूम संचालक द्वारा किसी भी तरह की छूट नहीं दी जा रही है। उनका कहना है कि राज्य सरकार या परिवहन विभाग द्वारा उनके पास कोई सूचना नहीं भेजी गई है। वहीं पिछले 11 महीनों से करीब 25000 ईवी सडक़ों पर दौड़ रही हैं।
अब तक सॉफ्टवेयर नहीं
राज्य सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहन की बिक्री करने वालों का पंजीयन करने के लिए परिवहन विभाग को साफ्टवेयर बनाने के निर्देश दिए थे। इसमें प्रदेशभर के ईवी शोरूम संचालकों को जोड़ना था। ताकि वाहन की बिक्री के बाद इसकी खरीदी करने वालों के बैंक खातों में छूट की राशि जमा कराई जा सकें। यह राशि नगद और किस्तों में खरीदी करने वालों के बैंक खातों में दिया जाना है। लेकिन, आज तक ऑटोमोबाइल्स डीलरों की सूचीबद्ध तक नहीं किया गया है। इसके चलते वह मनमानी कीमतों पर ईवी की बिक्री कर रहे हैं। बता दें कि 50 किमी प्रतिघंटा की स्पीड से चलने वाले ईवी को बिना रजिस्ट्रेशन और पंजीयन नंबर प्लेट चलाया जा सकता है। वहीं इससे अधिक रफ्तार से चलने वाले को रजिस्ट्रेशन, पंजीयन और बीमा कराना अनिवार्य है।
शहर से ग्रामीण इलाकों तक खुल गए ढेरों शोरूम
शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में ईवी के बहुत सारे शोरूम खुल गए हैं। यहां दोपहिया और तीन पहिया से लेकर चार पहिया वाहनों की बिक्री हो रही है। जबकि नियमानुसार उन्हें परिवहन विभाग में पंजीयन कराना जरूरी है। लेकिन, साफ्टवेयर के नहीं होनेे के कारण अब तक इस बारे में कोई पहल नहीं की गई है।
ईवी की बिक्री करने वालों का पंजीयन करने के लिए साफ्टवेयर बनाया जा रहा है। ताकि सभी ईवी खरीदार को नियमानुसार छूट की राशि बैंक खातों के माध्यम से मिल सके।
एस. प्रकाश, सचिव, परिवहन विभाग