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क्राउड फंडिंग से बनी छत्तीसगढ़ी फिल्म पहुंची कांस, लेकिन डायरेक्टर यहीं अटका; जानिए क्यों

locationरायपुरPublished: May 21, 2022 12:18:41 am

Submitted by:

Tabir Hussain

कांस फिल्म फेस्टिवल: छत्तीसगढ़ की बेलाडीला सहित 5 फिल्मों को मिली एंट्री

क्राउड फंडिंग से बनी छत्तीसगढ़ी फिल्म पहुंची कांस, लेकिन डायरेक्टर यहीं अटका; जानिए क्यों

बैलाडीला फिल्म का पोस्टर

ताबीर हुसैन @ रायपुर. ऑस्कर की तरह कांस फेस्टिवल में अपनी फिल्म दिखाना हर निर्देशक का सपना होता है। छत्तीसगढ़ के युवा फिल्म निर्देशक शैलेंद्र साहू का सपना पूरा तो हुआ, लेकिन आधा-अधूरा। उनकी फिल्म बैलाडीला उन 5 भारतीय फिल्मों में शामिल है जिन्हें कांस में एंट्री मिली है। क्राउड फंडिंग से बनी फिल्म तो वहां पहुंच गई, लेकिन आने-जाने के लिए पैसे न होने से निर्देशक यहीं अटक गया। राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम ने कनाडा में 17 से 28 मई तक चलने वाले कांस फिल्म फेस्टिवल के लिए मार्चे डू फिल्म सेक्शन के तहत फिल्म बाजार कैटिगरी में पांच फिल्मों का चयन किया है। इनमें छत्तीसगढ़ की एक फिल्म बैलाडीला भी। कांस में फिल्म दिखाई जाएगी लेकिन इसके डायरेक्टर शैलेंद्र साहू मन मसोस कर यहीं बैठे हैं। शैलेंद्र ने खूब प्रयास किए लेकिन न पैसों का इंतजाम हो पाया और न कोई सरकारी मदद मिल पाई।

शासन से लगाई गुहार

शैलेंद्र ने सरकारी सहायता पाने के लिए काफी कोशिश की है। सीएम सचिवालय के एक अफसर से फोन पर बात की तो उन्होंने ईमेल करने कहा। ईमेल में फिल्म से जुड़ी सारी जानकारी दी और कनाडा जाने के लिए आर्थिक मदद की गुहार लगाई। हालांकि अभी तक ईमेल का जवाब नहीं आया है। उधर, एक्टिविस्ट और पोएट आमिर अजीज ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को ट्वीट में टैग करते हुए लिखा है कि छत्तीसगढ़ के फिल्मकार शैलेंद्र साहू की फिल्म बैलाडीला कांस के लिए सलेक्ट हुई लेकिन वे इसलिए नहीं जा पा रहे हैं क्योंकि उनका वीजा अकाउंट में पैसे नहीं होने के कारण कैंसल हो गया है।
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मुश्किलों से गुजरकर शूट हुई फिल्म

शैलेंद्र के बड़े भाई राघवेंद्र ने बताया, शैलेंद्र ने कठिनाइयों से गुुजरकर फिल्म बनाई है। बैलाडीला में उसे शूटिंग को लेकर प्रशासन से सहयोग नहीं मिल रहा था। बड़ी मुश्किल से प्रशासन राजी हुआ। क्राउड फंडिंग से 10-12 लाख एकत्र किए। मां ने भी मदद की। फिल्म जब अ’छी बनती नजर आई तो शैलेंद्र का दोस्त मदद करने सामने आया लेकिन उसके पास भी बहुत ज्यादा पैसे नहीं थे लेकिन शैलेंद्र ने उसे प्रोड्यूसर बना दिया। इस तरह फिल्म को प्रोड्यूसर मिल पाया।

इन पांच फिल्मों को भेजा गया

– जयचेंग जक्सई दोहुतिया की बागजान: असमिया, मोरानी
– बैलाडीला: हिंदी, छत्तीसगढ़ी
– एकतारा कलेक्टिव की एक जगह अपनी – हिंदी
– हर्षद नलवाडे की फॉलोवर- मराठी, कन्नड़, हिंदी
– जय शंकर की शिवम्मा- कन्नड़
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