scriptशहर के घनी आबादी में सूखे नशे का गोरखधंधा, शराब के बजाय टेबलेट, कफ सिरप और गांजे का करते हैं उपयोग | city is densely populated with much of the misery of dry drugs | Patrika News

शहर के घनी आबादी में सूखे नशे का गोरखधंधा, शराब के बजाय टेबलेट, कफ सिरप और गांजे का करते हैं उपयोग

locationरायपुरPublished: Jun 05, 2020 08:29:21 pm

Submitted by:

Karunakant Chaubey

इन इलाकों में शराब के बजाय सूखा नशा जैसे गांजा, नशीली टेबलेट, कफ सिरप, चरस की मांग ज्यादा है। इस कारण बड़े पैमाने पर इसकी तस्करी होने लगी है। चरस तस्करी का मामला भी सामने आया है। चरस की मांग कारोबारी युवाओं में बढ़ गया है।

शहर के घनी आबादी में सूखे नशे का गोरखधंधा, शराब के बजाय टेबलेट, कफ सिरप और गांजे का करते हैं उपयोग

शहर के घनी आबादी में सूखे नशे का गोरखधंधा, शराब के बजाय टेबलेट, कफ सिरप और गांजे का करते हैं उपयोग

रायपुर. राजधानी की घनी आबादी वाले इलाकों में सूखे नशे का गोरखधंधा ज्यादा हो रहा है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि करीब डेढ़ साल के भीतर पुलिस ने विशेष अभियान चलाकर 74 तस्करों को जेल भेजा है। इन इलाकों में शराब के बजाय सूखा नशा जैसे गांजा, नशीली टेबलेट, कफ सिरप, चरस की मांग ज्यादा है। इस कारण बड़े पैमाने पर इसकी तस्करी होने लगी है। चरस तस्करी का मामला भी सामने आया है। चरस की मांग कारोबारी युवाओं में बढ़ गया है। यही वजह है कि कई सालों बाद चरस की बड़ी खेप रायपुर पहुंची थी, जिसे कोतवाली पुलिस ने पकड़ा था।

इन इलाकों से पकड़े गए तस्कर

कोतवाली पुलिस सबडिवीजन में शहर की घनी आबादी वाला हिस्सा है। कोतवाली, मौदहापारा, गंज और गोलबाजार थाना क्षेत्रों में कारोबार से लेकर दूसरे शहरों के लोगों का आना-जाना ज्यादा रहता है। घनी आबादी होने के कारण अंदरूनी इलाकों में मादक पदार्थों की तस्करी आसानी से होती है। फरवरी 2019 से मई 2020 तक कोतवाली, मौदहापारा, गोलबाजार और गंज पुलिस ने ५३ मादक पदार्थों की तस्करी के मामले पकड़े। इनमें 94 फीसदी मामले नशे की गोली, कफ सिरप, गांजा और चरस तस्करी के प्रकरण हैं। पुलिस ने 53 मामलों में कुल 74 तस्करों को आबकारी और नारकोटिक एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत जेल भेजा। आरोपियों में छोटे तस्करों से लेकर बड़े फार्मा कारोबारी भी शामिल हैं, जिन्हें पुलिस ने जेल भेजा है।

चरस तस्करी का बड़ा गिरोह

रायपुर में गांजा, नशे की गोली और कफ सिरप की तस्करी आम बात है, लेकिन पिछले कुछ सालों से चरस की भी सप्लाई होने लगी थी। चरस नेपाल से बिहार और फिर वहां से रायपुर पहुंच रहा था। इसका खुलासा बिहार से चरस लेकर रायपुर पहुंचे संतोष कुमार से हुआ। पुलिस ने उसे १७ मार्च को पकड़ा। फिर संतोष के जरिए कारोबारी आकाश अग्रवाल, सुहेल खान और शाहरूख खान को चरस की बड़ी मात्रा के साथ पकड़ा गया था।

तस्करों के खिलाफ अभियान

कफ सिरप और नशे की गोलियां बेचने वालों के खिलाफ पुलिस विशेष अभियान चला रही है। इसके तहत कफ सिरप और नशे की गोलियां बेचने वाले छोटे तस्करों से लेकर मेडिकल स्टोर चलाने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा रही है। पिछले दिनों तिरुपति फार्मा के संचालक राजेश अग्रवाल को इसी के तहत जेल भेज दिया गया था। इससे पहले उनकी दुकान से बड़ी मात्रा में प्रतिबंधित कफ सिरप बरामद किया गया था।

अभियान जारी रहेगा

मादक पदार्थों की तस्करी करने वालों के खिलाफ पुलिस सख्त कार्रवाई कर रही है। कोतवाली सबडिवीजन के बाद अब शहर के दूसरे हिस्सों में भी कार्रवाई की जाएगी। तस्करों के संबंध में सूचना मिलते ही कार्रवाई की जाएगी। यह पुलिस का विशेष अभियान है। लगातार जारी रहेगा।
-डीसी पटेल, सीएसपी कोतवाली, रायपुर

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो