उन्होंने अपने बधाई संदेश में कहा है कि “छत्तीसगढ़ी भाखा हमर पुरखौती आए, ये हर हमर अभिमान हे। नवा सरकार बने के बाद ले छत्तीसगढ़ के इही अभिमान ला संजोए अउ आगू बढ़ाए बर हमन काम करत हन। ’जतका मान हमन ला अपन छत्तीसगढ़ महतारी उपर हे ओतके हमर मातृ भासा छत्तीसगढ़ी बर घलो होना चाही। छत्तीसगढ़ी भाखा ला हमन आत्म गौरव संग जोड़के देखबो तभे वो आघू बढ़ही”।
सीएम बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा हिंदी, अवधी और बृज भाषा की समकालीन हैैं। राज्य सरकार द्वारा तीज-त्यौहारों और पारंपरिक संस्कारों को बढ़ावा देने के साथ पुरखौती के अमूल्य धरोहरों का परिचय नई पीढ़ी से कराने से छत्तीसगढ़ी भाषा का महत्व और अधिक बढ़ गया है। छत्तीसगढ़ी में बोलने में संकोच करने वाले लोग भी अब छत्तीसगढ़ी में गर्व से बात करते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा के विकास को हमें आगे ले जाना है, इसके लिए छत्तीसगढ़ी को दैनिक बोलचाल के साथ साहित्य सृजन और प्रचार-प्रसार की भाषा बनाने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 27 नवंबर को दोपहर 12.00 बजे मुख्यमंत्री निवास में संस्कृति विभाग द्वारा छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के अवसर पर आयोजित सम्मान समारोह में शामिल होंगे। कार्यक्रम के पश्चात सीएम बघेल रायपुर पुलिस परेड ग्राउण्ड हेलीपेड से दोपहर 12.40 बजे हेलीकॉप्टर से दुर्ग के लिए प्रस्थान करेंगे और वहां स्थानीय कार्यक्रम में शामिल होंगे। दुर्ग से शाम 4.00 बजे रायपुर लौटेंगे।
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छत्तीसगढ़ी राज्य भाषा दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?
छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग विधेयक को 28 नवम्बर 2007 को पारित किया गया तथा इसके पास होने कर ही उपलक्ष्य में हर साल 28 नवम्बर को राजभाषा दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस राजभाषा का प्रकाशन 11 जुलाई 2008 को राजपत्र में किया गया।
बता दें छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग विधेयक को 28 नवंबर 2007 को पारित किया गया था। विधेयक के पास होने के उपलक्ष्य में हर साल 28 नवंबर को राजभाषा दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस राजभाषा का प्रकाशन 11 जुलाई 2008 को राजपत्र में किया गया। इस आयोग का कार्य 14 अगस्त 2008 से चालू हुआ। आयोग के प्रथम सचिव पद्मश्री डॉ सुरेंद्र दुबे थे।
आयोग का उद्देश्य
पहला – राजभाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्जा दिलाना।
दूसरा – छत्तीसगढ़ी भाषा को राजकाज की भाषा में उपयोग में लाना।
तीसरा – 13वें भाषा के रूप में शामिल पाठ्यक्रम में शामिल करना।