बैठक में जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे, वन मंत्री मोहम्मद अकबर, उद्योग मंत्री कवासी लखमा, राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल, बस्तर सांसद दीपक बैज, राज्यसभा सांसद फूलो देवी नेताम, विधायक राजमन बेंजाम, विक्रम मंडावी, मनोज मंडावी, संत नेताम, शिशुपाल सोरी, रेखचंद जैन, मोहन मरकाम, देवती कर्मा, पूर्व सांसद अरविंद नेताम, जिला पंचायत अध्यक्ष बीजापुर शंकर खुडियाम, जिला पंचायत अध्यक्ष सुकमा हरीश लखमा सहित बस्तर अंचल के जिला पंचायत अध्यक्ष एवम अपर मुख्य सचिव जल संसाधन अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, सचिव जल संसाधन अविनाश चम्पावत, मुख्यमंत्री सचिवालय में उप सचिव सौम्या चौरसिया सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण उपस्थित थे।
राज्य सरकार ने बस्तर में सिंचाई सुविधाओं के विस्तार और बिजली जरूरतों के लिए 50 साल पुरानी बोधघाट परियोजना को पुनरजीवित करने की कोशिश शुरू की है। वर्ष 2020-21 के वार्षिक बजट में इसे शामिल किया गया है। केंद्रीय जल आयोग ने भी इसे हरी झंडी दिखा दिया है। सरकार इस परियोजना पर 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक खर्च करने वाली है। परियोजना के सर्वेक्षण की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।इस बीच सामाजिक – पर्यावरण कार्यकर्ताओं और स्थानीय आदिवासियों की ओर से परियोजना का विरोध शुरू हो गया है। कहा जा रहा है, इस परियोजना से क्षेत्र के 42 आदिवासी गांव डूब जाएंगे। आरोप है, राज्य सरकार आदिवासी हित और पर्यावरण की अनदेखी करके इस बंद पड़ी परियोजना को शुरु कर रही है।