script

केंद्र की नक्सलवाद से निपटने की नीति पर CM भूपेश ने उठाए सवाल

locationरायपुरPublished: Sep 22, 2019 03:36:40 pm

Submitted by:

Ashish Gupta

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्र की नक्सलवाद और उग्रवाद से निपटने की नीति पर सवाल उठाया।

केंद्र की नक्सलवाद से निपटने की नीति पर CM भूपेश ने उठाया सवाल, दागे तीखे सवाल

केंद्र की नक्सलवाद से निपटने की नीति पर CM भूपेश ने उठाया सवाल, दागे तीखे सवाल

रायपुर. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने केंद्र की नक्सलवाद और उग्रवाद से निपटने की नीति पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) के साथ पिछली बैठक में उन्होंने पूछा था कि नक्सलियों के पास हथियार कहां से आते हैं। हमारे यहां तो बनते नहीं। कारतूस भी या तो विदेशी हैं या आर्डिनेंस फैक्ट्रियों की सील लगी हुई है। उन्होंने बताया कि केन्द्रीय गृहमंत्री से इस पर रोक लगाने के लिए मांग की थी, लेकिन अमित शाह इसपर मौन थे।
केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नक्सली समस्या को देश की आतंरिक सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा बताया है। इस बात को ध्यान में रखते हुए केन्द्रीय गृहमंत्री की अध्यक्षता में पिछले महीने दिल्ली के विज्ञान भवन में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई थी।
इस बैठक में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत नक्सल प्रभावित 11 राज्यों के मुख्यमंत्री और डीजीपी ने हिस्सा लिया था। बैठक में दशकों से चली आ रही नक्सल समस्या को जड़ से खत्म करने को लेकर चर्चा हुई। इस बीच, छत्तीसगढ़ में नक्सल हमले को लेकर हाई अलर्ट जारी किया गया है।
छत्तीसगढ़ सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित राज्य है। छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के सभी जिलों सहित राजनांदगांव, कवर्धा, गरियाबंद, महासमुंद और धमतरी जिले में नक्सली अधिक सक्रीय रहते हैं। बस्तर संभाग में आए दिन नक्सल हिंसा से जुड़ी खबरें सामने आती हैं।

नए मोटरयान कानून को लेकर केन्द्र सरकार पर साधा निशाना

इस बीच मुख्यमंत्री ने नए मोटरयान कानून (New Motor Vehicle Act) को लेकर केन्द्र सरकार पर निशाना साधा। नए मोटरयान कानून (New Traffic Rules) पर मुख्यमंत्री ने बेगार प्रथा की वापसी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, प्रावधान है कि किसी ने दूसरी बार लालबत्ती क्रॉस की तो पुलिस अधिकारी सामुदायिक सेवा के नाम पर बेगारी करा सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा, जो प्रथा खत्म हो गई थी उसे फिर से जीवित करने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि अगर कानून को अस्वीकार किया जाता है तो संघीय कानून टूटेगा और अगर स्वीकार किया जाता है तो हमें यहां पहुंचाने वाली जनता के साथ अन्याय होगा। हम हर संभावना का अध्ययन कर रहे हैं।

ट्रेंडिंग वीडियो