बता दें कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ऐतिहासिक जीत के बाद मुख्यमंत्री पद की दौड़ में भूपेश बघेल, टी.एस. सिंहदेव, ताम्रध्वज साहू और चरणदास महंत शामिल थे। कांग्रेस आलाकमान को मुख्यमंत्री के नाम के लिए काफी माथापच्ची करना पड़ा था। उस वक्त सिंहदेव को मुख्यमंत्री बनाने के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन पार्टी ने भूपेश बघेल के नाम पर मुहर लगाई।
भूपेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद इस चर्चा ने जोर पकड़ा कि कांग्रेस आलाकमान ने दोनों नेताओं के लिए मुख्यमंत्री पद पर ढाई-ढाई साल का फॉर्मूला तय किया है। बघेल ने ऐसे किसी फॉर्मूले की बात को नकार दिया।
वहीं, भूपेश ने स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव के उस बयान को भी खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने आदिवासी विधायक अमरजीत भगत को मंत्री बनाए जाने की बात कही थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पार्टी का अंदरूनी मामला है। किसे क्या भूमिका दी जाएगी, यह सिर्फ पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ही तय करते हैं। बघेल ने भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष धरमलाल कौशिक पर हमला बोलते हुए कहा कि जिस पार्टी में 49 से 15 सीटों पर लाकर पटकने वाले को नेताप्रतिपक्ष और अध्यक्ष बना दिया जाता हो, वह पार्टी क्या लोकसभा में जीतेगी।