रायपुर

CM ने किया सुपोषण मिशन का शुभारंभ, बोले – माओवाद से बड़ी है कुपोषण की लड़ाई

मुख्यमंत्री ने कहा कुपोषण की लड़ाई माओवादियों के खिलाफ लड़ी जा रही लड़ाई से भी बड़ी लड़ाई है। इस लड़ाई में पूरी पीढ़ी प्रभावित होती है।

रायपुरNov 10, 2017 / 04:20 pm

Ashish Gupta

CM ने किया सुपोषण मिशन का शुभारंभ, बोले – माओवाद से बड़ी है कुपोषण की लड़ाई

रायपुर . मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने शुक्रवार को राजधानी रायपुर में मुख्यमंत्री सुपोषण मिशन का शुभारंभ किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कुपोषण की लड़ाई माओवादियों के खिलाफ लड़ी जा रही लड़ाई से भी बड़ी लड़ाई है। इस लड़ाई में पूरी पीढ़ी प्रभावित होती है। माओवादी लड़ाई से ज्यादा कुपोषण से माता और बच्चों की मौत हो रही है।
मुख्यमंत्री ने विभाग को लक्ष्य दिया है कि वह 3 साल में केरल के बराबर 15 परसेंट कुपोषण की दर लेकर आए। वर्तमान में छत्तीसगढ़ में 37 परसेंट से अधिक बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। 5 साल पहले यह आंकड़ा 52.9 प्रतिशत था।इस मौके पर उन्होंने इस मिशन की पत्रिका का विमोचन किया और ‘न्युट्रिक्लिक ऑनलाइन सेंटर, न्युट्री चेक मोबाइल एप का भी शुभारंभ किया।
रंगों से होगी कुपोषित बच्चों की पहचान
वहीं वहीं गुरुवार से प्रदेश में कुपोषित बच्चों की तलाश के लिए वजन त्योहर की शुरुआत हो गई है। इसके माध्यम से प्रदेश के 50 हजार आंगनबाड़ी केंद्रों में 0 से 5 साल तक के बच्चों का वजन लेकर उनके कुपोषण के स्तर का पता लगाया जाएगा। कुपोषण की पहचान के लिए बच्चों को पीले, हरे और लाल रंग से दिया जाएगा। यदि बच्चे को लाल रंग मिला, तो वह गंभीर रूप कुपोषित माना जाएगा। पीला रंग कुपोषित और हरा रंग सामान्य वजन वाले बच्चों के लिए होगा।
राज्य सरकार अलग-अलग क्लस्टरों के आधार पर वजन त्योहार मनाएगा। इसके तहत 18 नवम्बर तक आंगनबाड़ी आने वाले हर बच्चों का वजन कर कुपोषण को आंका जाएगा। इसके लिए महिला एवं बाल विकास विभाग ने सभी जिलों के कलक्टरों, जिला कार्यक्रम अधिकारियों और मैदानी अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। वजन त्योहार का मुख्य उद्देश्य बच्चों के पोषण स्तर का आंकलन करना और निर्धारित से कम वजन वाले बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए आवश्यक उपाय करना है।
आंगनबाड़ी केंद्रों में सुविधाओं का अभाव
कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में आंगनबाड़ी केंद्रों की सुविधा सबसे महत्वपूर्ण है। इसके बावजूद प्रदेश बहुत से आंगनबाड़ी केंद्र सुविधा विहीन है। जनवरी 2017 तक की स्थिति में 20 हजार से अधिक आंगनबाड़ी केंद्रों में बिजली की सुविधा नहीं है। इसी प्रकार 12 हजार 338 आंगनबाड़ी केंद्रों के पास स्वयं के भवन नहीं है। 6 हजार आंगनबाड़ी केंद्रों में शौचालय और 4 हजार 585 आंगनबाड़ी केंद्रों में पेयजल की सुविधा मौजूद नहीं है।
पांच लाख बच्चे कुपोषित
प्रदेश में कुपोषण की स्थिति संतोषजनक नहीं है। हालांकि, विभागीय अधिकारियों का दावा है कि कुपोषण में लगातार कमी आ रही है। इसके बावजूद जनवरी 2017 तक की स्थिति में प्रदेश में 5 लाख 15 हजार 366 बच्चे कुपोषित पाए गए थे। कुपोषणा की भयावह स्थिति मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के विधानसभा क्षेत्र राजनांदगांव में ही है। यहां 39 हजार 435 बच्चे कुपोषित पाए गए थे। 34 हजार 314 कुपोषित बच्चों के साथ बिलासपुर जिला दूसरे नम्बर पर हैं।

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