रायपुर

सौर ऊर्जा ही है कोयले का विकल्प : घर, दफ्तर की छतों पर बिजली की खेती सफल, और भी है सोलर सिस्टम के फायदे

Coal crisis: – प्रदेश में कोयले से 27270.04 मेगावाट बिजली का उत्पादन, मगर यह सीमित स्रोत- वही सौर ऊर्जा से अभी सिर्फ 738 मेगावाट बनती है बिजली

रायपुरOct 16, 2021 / 04:58 pm

CG Desk

Coal crisis: रायपुर. देश इन दिनों कोयले के भारी संकट के दौर से गुजर रहा है। जिसका सीधा असर बिजली उत्पादन पर पड़ रहा है, क्योंकि 75 प्रतिशत बिजली का उत्पादन कोयला आधारित है, यही वजह है कि कोयले की कमी से देश बिजली संकट के मुहाने पर है। इस संकट ने कहीं न कहीं यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि कोयले के भंडार सीमित हैं, इसलिए बिजली उत्पादन के नए विकल्पों को प्राथमिकता देना आवश्यक है। जिनमें सबसे आसान विकल्प है सौर ऊर्जा (सोलर एनर्जी)।

छत्तीसगढ़ में कोयले के जरिए थर्मल प्लांट से सालाना 27270.04 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है। तो वहीं सौर ऊर्जा से 738 मेगावाट बिजली का उत्पादन। राज्य के हजारों घरों, सैंकड़ों सरकारी और निजी दफ्तरों की छतों पर बिजली की खेती हो रही है, जो सफल है।

आखिर क्यों सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन जरूरी है। छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (क्रेडा) के अधिकारियों का कहना है कि कोयला आज नहीं तो कल खत्म हो जाएगा। इससे बिजली बनाने में पर्यावरण प्रदूषण होता है। जमीन खोखली होती जा रही है। इसलिए सौर ऊर्जा कभी खत्म नहीं होगी, तो क्यों न इसका इस्तेमाल किया जाए। उधर, राज्य में पवन ऊर्जा से बिजली बनाने के प्रयास हुए मगर सफलता नहीं मिली।

जागरुकता की कमी
रायपुर के 20 प्रतिशत शासकीय, गैर शासकीय कार्यालय सौर ऊर्जा से रोशन हो रहे हैं। नॉन मेट्रो सिटी में शामिल रायपुर में 18 मेगावाट बिजली सौर ऊर्जा से तैयार हो रही है। हालांकि अहमदाबाद में 85 मेगावाट, भोपाल में 58, लखनऊ में 42 मेगावाट का उत्पादन हो रहा है। रायपुर को इस दिशा में और काम करनी की जरुरत है ताकि कोयले से बनी बिजली पर कम से कम निर्भरता हो।

सोलर सिस्टम के फायदे
1- बिजली की खपत कम, खर्च कम, बिजली बिल कम।
2- एक बार सोलर सिस्टम लगाने से 25 साल तक बिजली मिलेगी।
3- इसके जरिए हम पर्यावरण प्रदूषण को कम करने में भागीदारी दे सकते हैं।

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राज्य में कितना बिजली उत्पादन

कोयला आधारित (थर्मल प्लांट)- 27,270.04 मेगावाट
जल विद्युत (हाइड्रो प्लांट)- 120 मेगावाट

सोर्य ऊर्जा (रिन्यूएवल एनर्जी)- 1083.24 मेगावाट
(नोट- 30 सितंबर 2021 तक की रिपोर्ट के मुताबिक, सालाना उत्पादन)

सोलर सिस्टम के बारे में हर वो चीज जो आप जानना चाहते हैं
40 रुपए प्रतिवाट सब्सिडी भी- क्रेडा के अधिकारियों के मुताबिक सोलर सिस्टम लगाने पर 40 रुपए प्रतिवाट सब्सिडी का प्रावधान है। यानी की 1 किलोवाट के प्लांट 40 हजार कम देना होगा। इसे ऐसे समझें कि अगर प्लांट लगाने में 1 लाख रुपए खर्च आ रहा है तो उपभोक्ता को 40 कम भुगतान करना होगा।

खपत के हिसाब से लगेगा सिस्टम
आपके घर में जितने यूनिट बिजली की खपत होती है, उसी हिसाब से सोलर सिस्टम लगता है।

ऑफग्रिड और ऑनग्रिड सिस्टम
सबसे खास बात यह है कि सोलर सिस्टम ऑफ ग्रिड और ऑनग्रिड दोनों मोड पर है। ऑनग्रिड में बैटरी का खर्च बच जाता है। जितनी बिजली का उत्पादन हुआ, और खपत के बाद जितनी बिजली बच गई वह अगले दिन इस्तेमाल में लगाई जा सकती है। इसके लिए बस वाय डायरेक्टिव मीटर लगता है।

गोबर से बिजली बनाने की तैयारी में सरकार
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पिछले महीने गोबर से बिजली बनाने की घोषणा की, इसके लिए 2 कंपनियों ने सहमति दी है। तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। रायपुर, दुर्ग व बेमेतरा के गौठानों में ये प्लांट लगेंगे। सरकार का दावा है कि यह बिजली बनाने के अन्य स्त्रोतों की तुलना में किफायती रहेगा।

आज नहीं तो कल समूचे विश्व को सौर ऊर्जा आधारित बिजली पर आना ही होगा। क्योंकि इसके जरिए हम अपने पर्यावरण को बचा सकते हैं, कोयले के भंडार को संरक्षित कर सकते हैं। राज्य में ऑफग्रिड और ऑनग्रिड सिस्टम की सुविधा भी है। पॉवर कंपनी के टैरिफ नहीं बदलेंगे।
– भरत भूषण तिवारी, सुप्रीटेंडेंट इंजीनियर, क्रेडा, रायपुर हेड ऑफिस

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